कोटा स्टूडेंट सुसाइड
कोटा:- दादाबाड़ी थाना क्षेत्र में एक कोचिंग छात्र ने पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी. आशुतोष उम्र 20 वर्ष उत्तर प्रदेश, मिर्जापुर के भुवनेश्वर चौरसिया का पुत्र था. शास्त्री नगर में मकान में रहकर मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कर रहा था. यह इस साल का 13वां आत्महत्या का मामला है. आशुतोष के पीजी में सुसाइड प्रिवेंशन रॉड (एंटी हैंगिंग डिवाइस) नहीं थी. जिला प्रशासन ने सभी हॉस्टल्स और पीजी संचालकों को यह लगाने के स्पष्ट निर्देश जारी किये थे. प्रशासन के अनुसार हर एरिया के सर्वे का दावा किया गया था. पीजी व हॉस्टल की जांच करवाने की बात नदारत है.
स्कूल से निकाले जाने पर डिप्रेशन में था छात्र
वहीं दूसरा मामला आरके पुरम थाना क्षेत्र का है .जहां दसवीं के छात्र ने स्कूल से निकाले जाने पर तीसरे मंजिल से कूदकर जान दे दी. छात्र के बैग में सिगरेट मिली थी लेकिन माफी मांगने पर भी स्कूल ने आने की इजाजत नहीं दी. पिता का आरोप है कि स्कूल में किसी दोस्त ने उसके बैग में सिगरेट रख दी थी. इसके बाद मैनेजमेंट ने उसे स्कूल से निकाल दिया. माफीनामे के बाद भी स्कूल ने दाखिला नहीं दिया. पिता ने कहा कि स्पोट्र्स में अच्छा होने के बावजूद खेलना भी बैन कर दिया. बच्चे की मौत के बाद घर के बाहर पिता उसके मेडल दिखाते हुए बोले- कराटे में इतने मेडल लाता था बेटा. कभी देखें हैं इतने मेडल.
आरकेपुरम थाना के CI अजीत बागडोलिया ने बताया- कोटा के तलवंडी स्थित DAV स्कूल में पढ़ने वाले 10वीं क्लास के स्टूडेंट भावेश (16) पुत्र रविंद्र वर्मा ने तीन मंजिला मकान की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली. परिजन का आरोप है कि स्कूल मैनेजमेंट ने उसे सस्पेंड कर दिया था. इससे वह डिप्रेशन में चला गया था.
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सुसाइड रोकने के लिये रखें इन बातों का ध्यान
मनोचिकित्सक डॉ अखिल अग्रवाल ने Local 18 को बताया कि सुसाइड को रोकने के लिए बच्चों से लगातार बातचीत करनी चाहिए . बच्चों को जीवन की वास्तविकता से अवगत कराना चाहिए. किसी हार या जीत से कभी जीवन को नहीं तौलना चाहिए. स्कूल में भी टीचर की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों को सही और गलत चीजों के बारे में बताएं. अगर बच्चे ने कोई गलत स्टेप लिया है तो टीचर को उसे समझना चाहिए और एक मौका देना चाहिए. बच्चों से बात करें और उन्हें प्रेरक कहानी बताएं.
बच्चों को अब्दुल कलाम के बारे में बताएं, भगत सिंह, सरदार पटेल इनके बारे में बताएं. पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि बच्चे को खुले वातावरण में रहने की छूट दें .जिससे बच्चे का सामाजिक विकास होगा और उसका कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ेगा. साथ ही आज के जीवन शैली में बढते नशीले पदार्थों से दूर रहने कहें.ऐसे पदार्थ एंजायटी और डिप्रेशन को बढ़ाते हैं. बच्चों को समझाएं कि नशा शरीर का नाश करता है. यह जहर है.
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FIRST PUBLISHED :
October 18, 2024, 16:56 IST