सियासत में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ते. चुनाव प्रचार के दौरान वे जहां भी जाते हैं, वहां का पहनावा, वहां की बोली और वहां का कल्चर, सबकुछ अपना लेते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने दिल्ली से झारखंड जीतने की कोशिश की है. दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर आदिवासियों के देवता बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है. इससे 1300 किलोमीटर दूर रांची की सियासी हवा गर्म हो गई है.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वी जयंती के दिन सराय काले खां चौक का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक रखने का ऐलान किया. उन्होंने कहा-इस प्रतिमा और चौक का नाम देखकर न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी उनके जीवन से प्रेरणा ले पाएंगे. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी दिन बिहार के जमुई पहुंच गए. वहां से 6 हजार करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी.
बिरसा मुंडा बिहार और झारखंड में भगवान की तरह पूजे जाते हैं. उनकी जयंती को सरकार जनजातिय गौरव दिवस के रूप में मना रही है. आदिवासियों के लिए सरकार लगातार बड़ी योजनाओं का ऐलान करती रही है. उनकी संस्कृति को सहेजने के लिए कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. लेकिन चुनाव से चंद दिन पहले जिस तरह सरकार ने दिल्ली में उस चौक का नाम बदलने का ऐलान किया है, जहां यूपी-बिहार, झारखंड से हजारों लोग रोजाना आते हैं, तो इसके मायने बेहद खास हैं.
कौन थे बिरसा मुंडा
-15 नवंबर 1875 को रांची के उलीहातू गांव में एक आदिवासी परिवार बिरसा मुंडा का जन्म हुआ.
-पिता सुगना मुंडा और मां करमी मुंडा की संतान बिरसा मुंडा की शुरुआती पढ़ाई मिशनरी स्कूल में हुई.
-तब उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म देखे और उनके खिलाफ जंग का बिगुल फूंक दिया था.
-1895 में भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ लगान माफी आंदोलन की शुरुआत की थी
-विरोध इतना ज्यादा था कि उन्हें गिरफ्तार किया गया. 1900 तक बिरसा मुंडा और अंग्रेजों के बीच युद्ध होते रहे.
-उन्होंने भारतीयों के लिए जो जंग लड़ी उसकी वजह से लोग उन्हें भगवान मानने लगे. पूजा करने लगे.
दिल्ली से साध रहे दो-दो चुनाव
1.झारखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जहां 26 फीसदी आबादी आदिवासी है.
2.पिछले दो दशकों में इनकी संख्या में कमी आई है, लेकिन ये अभी भी काफी प्रभावी हैं.
3. 60 फीसदी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर आदिवासी अभी भी निर्णायक स्थिति में हैं.
4.सिर्फ झारखंड नहीं, महाराष्ट्र में भी आदिवासियों की अच्छी खासी आबादी है.
5.महाराष्ट्र की 32 से 35 सीटों पर वे जीत हार तय करने की स्थिति में हैं.
6.यही वजह है कि दिल्ली-बिहार से दोनों राज्यों के आदिवासियों को साधने की कोशिश है.
7.मध्य प्रदेश राजस्थान-छत्तीसगढ़ चुनाव में भी बीजेपी ने इसी तरह की कोशिश की थी.
8.तब पीएम मोदी उलिहातु पहुंच गए थे, जो भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि है.
9.देशभर के आदिवासी नेताओं को पहले ही मैदान में उतारा जा चुका है.
Tags: Birsa Munda Jayanti, Jharkhand predetermination 2024, Narendra modi
FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 17:30 IST