सही किस्म से लेकर बुवाई के तरीके तक, ऐसे करेंगे प्याज की खेती तो होगा मुनाफा

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मध्य प्रदेश से सटे यूपी के इस जनपद में होती है बहुताय प्याज की खेती

सोनभद्र: प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसकी मांग हमेशा रहती है. भारत में प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यूपी के आखिरी जनपद सोनभद्र में भी किसान इसकी खेती में रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि प्याज की खेती का रकबा अब हर साल बढ़ने लगा है. ऐसे तो देश के अध‍िकांश भागों में इसकी खेती रबी सीजन के दौरान होती है लेक‍िन अगर किसान चाहें तो साल भर में तीन बार तक इसकी खेती कर सकते है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने प्याज की ऐसी किस्मों और उसकी खेती के बारे में जानकारी दी है, जो क‍िसानों को बंपर मुनाफा दे सकती हैं.

प्याज की मुख्य किस्में
आइये जानते हैं क‍ि प्याज की प्रमुख क‍िस्में कौन-कौन सी हैं. एन-53 एक किस्म है जिसे भारत के सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. इसकी परिपक्वता अवधि 140 दिन है. औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. एग्री फाउण्ड डार्क रेडयह किस्म भारत में सभी क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है. इसके शल्क कन्द गोलाकार, 4-6 सेमी आकार वाले होते हैं. इसकी परिपक्वता अवधि 95-110 दिन है और औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

कैसी हो मिट्टी
प्याज की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है. प्याज की खेती के लिए उचित जलनिकास एवं जीवांषयुक्त उपजाऊ दोमट तथा वलूई दोमट भूमि की जरूरत होती है. जिसका पी.एच. मान 6.5-7.5 के मध्य हो वह सर्वोत्तम होती है. प्याज को अधिक क्षारीय या दलदली मृदाओं में नही उगाना चाहिए.

भूमि की तैयारी
प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं. खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनाी चाहिए. इसके उपरान्त 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर या हैरा से करें, प्रत्येक जुताई के पश्चात् पाटा अवश्य लगाएं. जिससे नमी सुरक्षित रहें तथा साथ ही मिट्टी भुर-भुरी हो जाए. भूमि को सतह से 15 से.मी. उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है. खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से तैयार किया जाना चाहिए.

खाद एवं उर्वरक
प्याज की फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. प्याज की फसल में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए. गोबर की सड़ी खाद 20-25 टन प्रत‍ि हेक्टेयर रोपाई से एक-दो माह पूर्व खेत में डालना चाहिए. इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर, पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर देने की स‍िफार‍िश की जाती है.

पौध तैयार करना
पौधशाला के लिए रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त रहती है. लोकल 18 से खास बातचीत में जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर हरिकृष्ण मिश्रा ने बताया गया कि पहले के अपेक्षा सोनांचल में किसान अब प्याज की खेती अधिक करने में रुचि दिखा रहे हैं. इसकी बेहतर उपज करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

Tags: Agriculture, Local18, News18 uttar pradesh, Sonbhadra News

FIRST PUBLISHED :

November 20, 2024, 13:25 IST

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