जींद. हरियाणा की पूर्व महिला पहलवान साक्षी मलिक की नई किताब विटनेस पर हंगामा हो रहा है. दो पहले ही यह किताब रिलीज हुई थी. लेकिन इसमें कई गए दावों को लेकर बवाल हो रहा है. ऐसे में जींद के जुलाना से कांग्रेस विधायक और महिला रेसलिंग खिलाड़ी विनेश फोगाट ने भी प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल, इस किताब के दावों को लेकर जहां पहलवान आमने सामने हो गए हैं. वहीं, राजतीनिक हलकों से भी बयानबाजी हो रही है. विनेश फोगाट ने भी साक्षी मलिक की किताब पर कहा कि जो कुछ आप सुन रहे हैं, उस पर विश्वान ना करें. हर कहानी में तीन पक्ष होते हैं…आपका, उनका और सच्चाई. हालांकि, विनेश ने प्रतिक्रिया के दौरान साक्षी मलिक का नाम नहीं लिया.
साक्षी मलिक ने अपने किताब में लिखा है कि बजरंग पुनिया और विनेश ट्रायल में छूट पाने के लिए लालची हो गई थे. इस पर मीडिया से बातचीत के दौरान विनेश फोगाट ने कहा, उससे पूछा जाना चाहिए किस तरह का लालच? एक खिलाड़ी के तौर पर अपनी बहनों और साथियों के लिए खड़े होना यदि लालच है तो यह अच्छी बात है. अगर आपका लालच…आपके देश कि लिए ओलंपिक्स में मेडल लाता है तो तब यह लालच हमेशा आपके साथ अंतिम सांस तक रहना चाहिए.
विनेश और बजरंग पर क्या लिखा था
साक्षी मलिक ने अपनी किताब में लिखा कि विनेश और बजरंग पुनिया के ट्रायल के दौरान छूट पाने के लालच की वजह से आंदोलन को धक्का लगा और आंदोलन की छवि खराब हुई.
साक्षी मलिक ने विवाद पर दी प्रतिक्रिया
उधर, अब किताब पर विवाद होने के बाद साक्षी मलिक ने एक्स के जरिये प्रतिक्रिया दी और पोस्ट में लिखा कि मेरी नयी किताब की जानकारी देने के लिए मैंने मीडिया से बातचीत करना चुना. मुझे लगता है कि मीडिया लोकतंत्र में ऐम्पलिफ़ायर का काम करता है है और औरतों के मुद्दों को इसके ज़रिए ऐम्प्लिफ़ाई किया जाए. लेकिन आज सुबह से खबरें देख रही हूँ. महिलाओं के मुद्दे ग़ायब हैं और हम पहलवानों को ही बदनाम करने की हेडलाइन्स तैर रही हैं. न किसी खबर में बृजभूषण की काली करतूतों का ज़िक्र है और ना ही महिला पहलवानों के संघर्ष का कोई ज़िक्र है. मेरी कही बात को आउट ऑफ़ कॉण्टेक्स्ट छापना तो चलो छोड़िए, मैंने किताब में जो बातें नहीं लिखी हैं, उन्हें भी मेरी किताब के हवाले से खबरों में छापा जा रहा है.
साक्षी ने नाराजगी जताते हुए लिखा कि कई बार लगता है कि हम लोग मसाले के भूखे लोग हैं, चाहे उस मसाले से किसी अच्छे मक़सद को कितना ही नुक़सान क्यों न हो रहा हो. महिला पहलवानों के ख़िलाफ़ नैरेटीव बनाने की दौड़ में तथ्यों के साथ खिलवाड़ न करें. अब लगता है कि एम्पलीफायर की बजाय चुप्पी का रास्ता सही है. संवेंदनशील मुद्दे को साज़िश थ्योरी में बदल देना कहाँ तक जायज़ है?
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 09:58 IST