सीता माता की इस पेंटिंग ने 3 बार इंटरनेशनल अवॉर्ड जीता
अनुज गौतम, सागर: मधुबनी कला की विशेषज्ञ और सागर में रहने वाली त्रिवेणिका राय की एक खास पेंटिंग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाई है. इस पेंटिंग में माता सीता को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है, जहाँ वे चरखा चलाते हुए दिखाई देती हैं. यह पेंटिंग आत्मनिर्भरता और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है और अब तक तीन बार अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में चयनित होकर प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है.
त्रिवेणिका बताती हैं कि उनकी इस पेंटिंग में माता सीता को केवल रामायण के प्रमुख पात्र के रूप में ही नहीं, बल्कि एक स्वावलंबी महिला के रूप में दिखाया गया है. यह पेंटिंग उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो आत्मनिर्भर बनने के सपने देखती हैं. अपने हाथों से कागज पर बारीकी से इस पेंटिंग को तैयार करने में त्रिवेणिका को 23 दिन का समय लगा. उन्होंने बताया, “जब जनक की पुत्री सीता आत्मनिर्भर हो सकती हैं, तो हम आम इंसान क्यों नहीं? मैंने इस पेंटिंग में उस सीता को दिखाने की कोशिश की है जो पारंपरिक भूमिकाओं के बंधनों को तोड़ती हैं और आत्मनिर्भरता का संदेश देती हैं.”
पेंटिंग में नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का संदेश
त्रिवेणिका राय मधुबनी कला में माहिर हैं और उनकी पेंटिंग अमेरिका समेत 10 से अधिक देशों में बेची जा चुकी है. उन्होंने पहली बार एक अंतरराष्ट्रीय चित्रकार प्रदर्शनी में अपनी इस पेंटिंग को प्रस्तुत किया, जहाँ थीम “वैदेही” थी, जो एक स्वतंत्र सोच और सशक्त सीता के पक्ष को दर्शाती थी. सीता माता को चरखा चलाते हुए दिखाना, दर्शकों को रामायण के एक अलग रूप की अनुभूति देता है, जो एक साधारण गृहणी के बजाय एक सशक्त महिला की पहचान को उजागर करता है.
दिल्ली से मिथिला तक का सफर: मधुबनी कला का प्रभाव
दिल्ली की रहने वाली त्रिवेणिका की शादी बिहार के दरभंगा में हुई, जहाँ वे पहली बार अपने ससुराल जाती समय मिथिला पेंटिंग से रूबरू हुईं. रेलवे स्टेशन पर इन चित्रों को देखकर वे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने खुद इसे सीखने का निर्णय लिया. धीरे-धीरे उन्होंने मधुबनी कला में दक्षता हासिल की और उनकी पेंटिंग्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहचान मिलने लगी. त्रिवेणिका की पेंटिंग्स विशेष रूप से अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में लोकप्रिय हैं, जहाँ उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जाता है.
सागर में कलाकार का सफर और यूट्यूब के माध्यम से कला सिखाने की पहल
त्रिवेणिका वर्तमान में सागर के सेंट्रल यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने पति के साथ निवास कर रही हैं, जो सागर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. यहाँ वे न केवल पेंटिंग में अपनी कला को संवार रही हैं बल्कि यूट्यूब चैनल के माध्यम से बच्चों और अन्य इच्छुक महिलाओं को मधुबनी आर्ट सिखा रही हैं. उनका मानना है कि इस पारंपरिक कला में असीम संभावनाएं हैं. वे बताती हैं, “महिलाएं इस कला को सीखकर घर बैठे साड़ी, दुपट्टा और बेडशीट जैसे वस्त्रों पर अपनी कलाकारी दिखाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं.”
सीता पेंटिंग ने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई
त्रिवेणिका की सीता माता की यह पेंटिंग न केवल कला की उत्कृष्टता का परिचायक है, बल्कि यह एक ऐसा प्रतीक है जो नारी सशक्तिकरण और स्वावलंबन को बढ़ावा देता है. पेंटिंग की अद्वितीयता इस तथ्य में है कि यह केवल एक धार्मिक चित्रण नहीं है बल्कि समकालीन समाज में महिला सशक्तिकरण की पहचान भी है. उनके द्वारा बनाई गई यह पेंटिंग दुनियाभर में सराही जा रही है और भारत की मधुबनी कला को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिला रही है.
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FIRST PUBLISHED :
October 26, 2024, 18:30 IST