मियां मिठाई तैयार करते कारीगर
वैशाली: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला, जिसे पशु मेले के रूप में जाना जाता है, एक महीने तक चलने वाला अनूठा आयोजन है. यह न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान रखता है. मेले में देसी और विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, जहां वे पशुओं की अनूठी प्रजातियों को देखने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों की खरीदारी का भी आनंद लेते हैं.
सोनपुर मेले की दो मुख्य विशेषताएं हैं: पशु बाजार और मियां मिठाई. यहां आने वाला हर पर्यटक पशुओं के साथ इस मिठाई का स्वाद जरूर चखता है. मियां मिठाई, जिसे मुसलमान पापड़ी कहते हैं और हिंदू मियां मिठाई , अपनी अनोखी मिठास के कारण प्रसिद्ध है. पहले इस मेले में मियां मिठाई की 50 से अधिक दुकानें लगती थीं, लेकिन हाल के वर्षों में प्रशासन द्वारा मेले में गाड़ियों पर प्रतिबंध और अन्य कारणों से दुकानों की संख्या घटकर 15 रह गई है.
एक मिठाई, दो नाम: पापड़ी और मियां मिठाई
सुमन कुमार सिंह, जो इस मिठाई का कारोबार संभालते हैं, बताते हैं, “हमारे पूर्वज इस मिठाई को बनाते थे और अब हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं. सोनपुर मेला में हर साल 50 क्विंटल से अधिक मियां मिठाई की बिक्री होती है. एक दुकान पर लगभग 20 लोग काम करते हैं और मिठाई की कीमत 140 रुपये प्रति किलो से 220 रुपये प्रति किलो तक है.
मोहम्मद गुफरान, जो पिछले 30 वर्षों से सोनपुर मेले में मिठाई की दुकान लगाते आ रहे हैं, कहते हैं, “मुसलमान इसे पापड़ी कहते हैं, जबकि हिंदू इसे मियां मिठाई. पहले यह मिठाई केवल मुसलमान बनाते थे, लेकिन अब हिंदू भी इसे बनाने और बेचने में आगे आ रहे हैं.
लोकप्रियता में कोई कमी नहीं
मेले में आने वाले लोग इस मिठाई को जरूर खरीदते हैं. गुफरान कहते हैं, “मेरे दुकान पर मिठाई की सबसे ज्यादा मांग रहती है. हर साल यहां मिठाई की बिक्री बढ़ती है और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इस मिठाई का स्वाद हर घर तक पहुंच रहा है.
मिठाई के प्रति लोगों का लगाव
सोनपुर मेले में मियां मिठाई न केवल व्यापारियों के लिए आजीविका का माध्यम है, बल्कि यह मेले की पहचान भी बन चुकी है. जो भी इस मेले में आता है, वह मियां मिठाई के बिना वापस नहीं लौटता. यह मिठाई हिंदू-मुसलमान की साझी संस्कृति और आपसी सद्भाव का भी प्रतीक है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 23:32 IST