स्वीडन छोड़कर गरीब देशों में छुट्टियां मनाने क्यों जा रहे लोग? 80% ने किया ऐसा

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Last Updated:February 03, 2025, 21:57 IST

स्‍वीडन में रहने वाले 80% शरणार्थी छुट्ट‍ियां मनाने के ल‍िए अपने देश भाग जाते हैं. दुन‍िया के सबसे खूबसूरत मुल्‍क में से एक स्‍वीडन चाहता है क‍ि शरणार्थी हमेशा के ल‍िए देश छोड़कर चले जाएं. इसके ल‍िए पैसे ऑफर कर...और पढ़ें

स्वीडन छोड़कर गरीब देशों में छुट्टियां मनाने क्यों जा रहे लोग? 80% ने किया ऐसा

स्‍वीडन से हर साल हजारों लोग अपने वतन छुट्ट‍ियां मनाने लौट जाते हैं. (Reuters)

हाइलाइट्स

  • स्‍वीडन में लाखों की संख्‍या में मिड‍िल ईस्‍ट-अफ्रीका से आते शरणार्थी.
  • छुट्ट‍ियां मनाने का मौका आता है, सभी लोग भागकर जाते अपने वतन.
  • हालांकि, सिर्फ 2 फीसदी लोग ही अपने वतन में रहने के इच्‍छुक.

स्‍वीडन खुद एक बेहद खूबसूरत देश है. दुन‍ियाभर से लोग वहां छुट्ट‍ियां मनाने के लिए जाते हैं. हनीमून पैकेज बुक कराते हैं. लेकिन एक सर्वे आया है, जो बताता है क‍ि स्‍वीडन में रहने वाले लगभग 80% लोग उन देशों में छुट्टियां मनाने गए हैं, जहां से वे भागकर आए हैं. इनमें से तमाम गरीब मुल्क हैं, जहां लोग रहना नहीं चाहते फिर भी जब उन्हें छुट्टी मनाने का मौका मिलता है तो उन्‍हें अपना देश काफी पसंद है. टेस्‍ला के माल‍िक एलन मस्‍क ने इसके बारे में जानकारी दी तो कौतुहल मच गया.

स्‍वीडन पर यह सर्वे पोलिंग फर्म नोवस ने किया था और स्‍वीडन के अखबार ब्रेइटबार्ट में पब्‍ल‍िश हुआ. सर्वे के मुताबिक, स्वीडन में रहने वाले लगभग 85 प्रतिशत विदेशी मूल के लोग अपने देश में छुट्टियां मनाने गए हैं. और जो लोग शरणार्थी माने जाते हैं, उनमें यह संख्या लगभग 80 प्रतिशत है. जबक‍ि वे स्वीडन में इसलिए हैं क्योंकि उन्हें अपने देश से भागने के लिए मजबूर किया गया था. इसके बावजूद उन्‍हें अपना देश प्‍यारा लगता है. इनमें बहुत सारे लोग अफ्रीका, मिड‍िल ईस्‍ट और एश‍िया के देशों से भागकर वहां पहुंचे हैं.

वतन लौटने की ख्‍वाह‍िश नहीं
सर्वे से ये भी पता चला क‍ि इनमें से बहुत कम लोग अपने वतन लौटना चाहते हैं. सिर्फ 2 फीसदी लोगों ने कहा क‍ि अगर भव‍िष्‍य में उन्‍हें अच्‍छा मौका मिला तो वे अपने देश लौट जाना पसंद करेंगे. यूरोपीय संघ के बाहर के देश से स्वीडन आए लोगों में से 81 प्रतिशत ने कहा कि वे स्वीडन में हमेशा के ल‍िए रहना चाहते हैं. क्‍योंक‍ि यहां उनके बच्‍चों की पढ़ाई और परवर‍िश अच्‍छे से हो सकती है. हालांक‍ि, 9 फीसदी लोग ऐसे भी मिले, जो कहते थे क‍ि स्‍वीडन उनके देश से बदतर है. ज्‍यादातर लोगों का कहना है क‍ि उनके देश में वे सुव‍िधाएं नहीं, जिनकी चाह में वे भागकर स्‍वीडन आए हैं.

Almost 80% of “refugees” spell connected abrogation to the state they assertion to person fled from … https://t.co/EMa9rLeDa5

— Elon Musk (@elonmusk) January 31, 2025

सिर्फ स्‍वीडन नहीं कई और देश
सिर्फ स्‍वीडन ही नहीं कई देश और भी हैं, जहां रहने वाले अपने वतन बार-बार जाते हैं. 2019 में जर्मनी के पूर्व गृहमंत्री होर्स्ट सीहोफर ने सीरिया के उन लोगों को शरण देने से इनकार करने की धमकी दी थी, जो छुट्ट‍ियां मनाने बार-बार अपने देश चले जाते हैं. उन्‍होंने कहा था क‍ि अगर वे यहां कमाया हुआ पैसा वहां खर्च करने के ल‍िए जाते हैं, तो उनका शरणार्थी का दर्जा नष्‍ट कर दिया जाएगा. एक सीरियाई ब्‍लागर ने इसके बाद श‍िकायत भी की थी क‍ि उसे सीरिया नहीं जाने द‍िया जा रहा है.

पैसे लो देश छोड़कर निकल जाओ
स्‍वीडन दुन‍िया का एक ऐसा मुल्‍क है, जो शरणर्थियों को अपने देश से भागने के लिए पैसे भी ऑफर करता है. कुछ महीनों पहले स्‍वीडन की इमीग्रेशन मिन‍िस्‍टर मारिया माल्मर स्टेनगार्ड ने कहा था क‍ि वे एक ऐसा प्रस्‍ताव लाने पर विचार कर रही हैं, जो लोग स्‍वीडन छोड़कर जाना चाहेंगे, उन्‍हें हजारों रुपये द‍िए जाएंगे साथ ही आने जाने का क‍िराया भी मिलेगा. हालांक‍ि, बाद में इसकी इतनी आलोचना हुई क‍ि पूरा मामला ठंडे बस्‍ते में चला गया.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

February 03, 2025, 21:57 IST

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