ढाका. बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास ‘ब्रह्मचारी’ की जमानत याचिका स्थानीय अदालत ने मंगलवार को खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया गया. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दास को 31 अक्टूबर को दर्ज एक मामले के संबंध में कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत नहीं मिली. वहीं इस्कॉन ने भारत सरकार से तुरंत कदम उठाने और बांग्लादेश सरकार से बात करने की अपील की.
जैसे ही अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज की, वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों और ‘ब्रह्मचारी’ के अनुयायियों के बीच झड़प शुरू हो गई, जिसमें एक वकील की मौत भी हो गई. ढाका ट्रिब्यून अखबार की खबर के मुताबिक पीड़ित वकील की पहचान 35 वर्षीय सहायक लोक अभियोजक तथा चटगांव जिला बार एसोसिएशन के सदस्य सैफुल इस्लाम के रूप में हुई है.
अखबार ने चटगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्मेंट में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर डॉ. निवेदिता घोष का हवाला देते हुए बताया कि चटगांव की छठी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार करने के बाद भड़की झड़पों में छह अन्य लोग घायल हुए हैं. चटगांव वकील संघ के अध्यक्ष नाजिम उद्दीन चौधरी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने एक वकील को उसके चैंबर के खींच लिया और उसकी हत्या कर दी.
जब चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को पुलिस वैन में ले जाया जा रहा था, तो उन्होंने माइक के जरिए भीड़ को संबोधित करते हुए उनसे शांत रहने का आग्रह किया. अपराह्न तीन बजे, कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने और लाठीचार्ज का सहारा लिया. शहर पुलिस उपायुक्त लियाकत अली ने एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की, लेकिन कहा कि वे अभी भी कारण की जांच कर रहे हैं. डेली स्टार अखबार ने बताया कि झड़प के दौरान पत्रकारों सहित कम से कम 10 लोग घायल हो गए.
दास की गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया पर फैलने के बाद चटगांव सहित बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में कई विरोध प्रदर्शन हुए. चटगांव में सैकड़ों हिंदू सड़कों पर उतर आए और चेरागी चौराहे पर रैली निकाली. बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुए कई वीडियो में बांग्लादेशी पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करते हुए दिखाई दिए. प्रदर्शनकारी दास की तत्काल रिहाई की मांग कर रहे थे.
भारत सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर क्या कहा?
इस बीच भारत सरकार ने मंगलवार (26 अक्टूबर) को इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हम चिन्मय कृष्ण दास, जो ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता हैं, की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं. बयान में कहा गया, ‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई. अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़, देवी-देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज किए गए हैं.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें प्रस्तुत करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. हम दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं. मंत्रालय ने कहा, “हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अपील करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है.”
इस्कॉन ने जारी किया बयान
इस्कॉन ने सोमवार देर रात एक बयान में कहा, “हमें परेशान करने वाली खबरें मिली हैं कि इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं में से एक चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने हिरासत में लिया है. यह निराधार आरोप लगाना अपमानजनक है कि इस्कॉन का दुनिया में कहीं भी आतंकवाद से कोई लेना-देना है. इस्कॉन, भारत सरकार से तत्काल कदम उठाने, बांग्लादेश सरकार से बात करने और यह बताने का अपील करता है कि हम एक शांतिप्रिय भक्ति आंदोलन हैं.”
बयान में कहा गया, “हम चाहते हैं कि बांग्लादेश सरकार चिन्मय कृष्ण दास को तुरंत रिहा करे। हम भगवान कृष्ण से इन भक्तों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं.” इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस, जिसे इस्कॉन के नाम से जाना जाता है, एक विश्वव्यापी संगठन है जिसके अनुयायी विभिन्न देशों और संस्कृतियों में मिलते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 23:46 IST