पटना : किसी जमाने मे देश में राजघराने और रियासत की अपनी हनक थी. जब राजघराने के राजा घर से बाहर निकलते थे तो इलाके के लोगों के घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद हो जाती थीं. रास्ते मे रोकने टोकने वाला कोई नहीं होता था, लेकिन वक़्त का पहिया घूमता रहा और आज आलम यह हो गया है कि राजघराने धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं. उनकी जमीन जायदाद कोई देखने वाला तक नहीं है. उसी में से एक है बिहार का सबसे बड़े राजघराना बेतिया राज. जीनक साम्राज्य में बिहार से लेकर यूपी तक बेशुमार और बेशकीमती जमीन है, लेकिन अब इस राजघराने की बेशुमार और बेशकीमती जमीन को सरकार ने अपने अधीन लाने के लिए मंगलवार को बिहार विधानमंडल से एक विधेयक को पास किया.
बिहार विधानसभा और विधान परिषद में मंगलवार को नीतीश सरकार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बेतिया राज की संपत्तियों को सरकार के हाथों में लेने के लिए एक विधेयक विधानसभा में पेश किया. इसके पास होने के बाद इस विधेयक को विधान परिषद की भी मंजूरी मिल गई. इसके साथ ही बेतिया राज की सारी संपत्ति अब बिहार सरकार की हो जाएगी.
1954 में महारानी जानकी कुंवर के निधन के साथ ही बेतिया राजपरिवार के आखिरी सदस्य की विदाई हो गई थी. ऐसे में आलम यह हो गया था कि इस राजघराने की जमीन पर लोगों ने कब्जा करना शुरू कर दिया. कई लोगों ने गलत तरीके से बेच भी दिया.
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल के मुताबिक, बेतिया राज की 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन और अन्य संपत्ति अब राज्य सरकार के अधीन होगी. दिलीप जायसवाल कहते हैं कि इस राजघराने की जमीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है.
बिहार में बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन है, जबकि यूपी में 143 एकड़ जमीन है. बिहार में बेतिया राज की अधिकांश जमीन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में है. इसके अलावा सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन है. इन जमीनों की कीमत 8000 करोड़ से ऊपर आंकी जा रही है. इस विधेयक पर गर्वनर की मंजूरी के बाद बेतिया राज की जमीनें राजस्व विभाग के अधीन आ जाएंगी.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 17:58 IST