Last Updated:January 19, 2025, 12:22 IST
Donald Trump 2.0: डोनाल्ड ट्रंप की वापसी भारतीय बाजारों के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है. इस अनिश्चित माहौल में विशेषज्ञ घरेलू बाजार की बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं. लंबी अवधि के निवेशकों को धैर्य रखना होगा और अस्थिरता...और पढ़ें
नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप का नाम सुनते ही एक अप्रत्याशित व्यक्तित्व की छवि सामने आती है. उनके पहले राष्ट्रपति कार्यकाल ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया था. अब जब ट्रंप व्हाइट हाउस में दोबारा वापसी कर रहे हैं तो भारतीय शेयर बाजार में हलचल मच गई है. सवाल यह है कि ट्रंप 2.0 का भारतीय बाजारों पर क्या असर होगा? ट्रंप की अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की खबर ने सेंसेक्स को 900 अंकों की तेजी दी थी, जिससे निवेशकों के बीच आशा का माहौल बना. लेकिन जैसे-जैसे 20 जनवरी का दिन नजदीक आया, यह उत्साह धीरे-धीरे अनिश्चितता में बदल गया.
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के शेयर बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों पर विशेषज्ञों की राय मिली-जुली है. लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की वापसी भारतीय बाजारों के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है. यह समय निवेशकों के लिए सतर्कता और समझदारी से निर्णय लेने का है. ट्रंप 2.0 का प्रभाव सकारात्मक होगा या नकारात्मक, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा.
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रिलायगेर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुसंधान, अजीत मिश्रा ने कहा, “ट्रंप की वापसी भारतीय शेयर बाजारों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव ला सकती है. उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति व्यापार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, लेकिन यूएस-इंडिया संबंधों की मजबूती से आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा क्षेत्रों को फायदा हो सकता है.” एच-1बी वीजा पर संभावित सख्ती भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है, जबकि अगर इसमें ढील दी गई तो यह सकारात्मक साबित होगा.
चीन पर सख्त रुख और भारत को लाभ
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप का चीन पर सख्त रुख भारत को एक मजबूत रणनीतिक साझेदार बना सकता है. इससे विनिर्माण और रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ सकता है. हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं. मिश्रा के अनुसार, “ट्रंप की फॉसिल फ्यूल समर्थक नीतियां कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर रख सकती हैं, जो भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए फायदेमंद होगा. लेकिन उनकी अप्रत्याशित शैली वैश्विक अस्थिरता बढ़ा सकती है.”
डॉलर की मजबूती और भारतीय बाजार पर दबाव
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के चलते अमेरिकी डॉलर मजबूत हो सकता है, जिससे भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है. इससे विदेशी निवेशकों का आउटफ्लो बढ़ सकता है, जो भारतीय शेयर बाजारों के लिए नुकसानदायक होगा. लेमन मार्केट्स डेस्क के सतीश चंद्र अलुरी ने बताया, “ट्रंप के चुनाव ने वैश्विक बाजारों में पहले ही समायोजन शुरू कर दिया है. उनकी व्यापार-हितैषी नीतियां और मजबूत अमेरिकी विकास संभावनाएं अमेरिकी संपत्तियों में पूंजी प्रवाह को प्रेरित कर रही हैं. लेकिन टैरिफ और व्यापार युद्ध के खतरे मुद्रास्फीति बढ़ा सकते हैं.”
विदेशी निवेश में गिरावट और बाजार की चुनौतियां
अक्टूबर 2024 से अमेरिकी डॉलर सूचकांक में लगभग 9% की वृद्धि हुई है. वहीं, अमेरिकी 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 4.8% तक पहुंच गई है, जिससे उभरते बाजारों पर दबाव बढ़ा है. सतीश चंद्र अलुरी ने कहा, “भारतीय बाजारों में पहले से ही विदेशी निवेशकों का बहिर्वाह हो रहा है. नए साल में अब तक 27,889 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री हो चुकी है.”
भारतीय कंपनियों पर असर
ट्रंप की नीतियों का सीधा असर भारतीय निर्यातकों और आईटी कंपनियों पर पड़ सकता है. इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न-आभूषण, और फार्मा जैसे क्षेत्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. ट्रंप 2.0 का प्रभाव भारतीय बाजारों पर निर्भर करेगा कि उनकी नीतियां व्यापार और निवेश के लिए कितनी अनुकूल होती हैं. विश्लेषकों का मानना है कि भारत में कॉर्पोरेट आय में सुधार और घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती निवेशकों के लिए स्थिरता ला सकती है.
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First Published :
January 19, 2025, 12:22 IST