DU के इस कॉलेज से ग्रेजुएट, 8 बार क्रैक किया SSB, ऐसे सेना में बनीं कैप्टन 

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Last Updated:January 31, 2025, 21:22 IST

Indian Army Story: भारतीय सेना में अपने पिता से प्रेरणा लेकर एक लड़की ने करियर बनाया. उन्होंने 75वें गणतंत्र दिवस परेड में 148-सदस्यीय महिला दल का नेतृत्व किया, जो महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक भी है.

DU के इस कॉलेज से ग्रेजुएट, 8 बार क्रैक किया SSB, ऐसे सेना में बनीं कैप्टन 

Indian Army Story: ऐसे बनीं भारतीय सेना में कैप्टन.

हाइलाइट्स

  • कैप्टन संध्या महला ने 75वें गणतंत्र दिवस परेड में महिला दल का नेतृत्व किया.
  • संध्या ने 8 बार SSB क्वालीफाई कर सेना में जगह बनाई.
  • DU से ग्रेजुएट संध्या ने OTA चेन्नई में ट्रेनिंग पूरी की.

Indian Army Story: एक पिता के लिए सबसे बड़ी खुशी तब होती है, जब उनकी बेटी उन्हीं की राह पर चलकर सफलता की इमारत खड़ी कर दें. ऐसी ही कहानी एक लड़की है, जिनकी सेना में करियर की नींव उनके पिता से मिली. उनके पिता भारतीय सेना के सिग्नल कोर में सेवाएं दे चुके थे. अनुशासन और समर्पण के माहौल में पली-बढ़ी इस लड़की के मन में सेना में सेवा देने का जज़्बा बचपन से ही जाग चुका था. उनके लिए यह सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि एक लक्ष्य था जिसे वह हर हाल में हासिल करना चाहती थीं. जिनकी हम बात कर रहे हैं, उनका नाम कैप्टन संध्या महला है.

DU के इस कॉलेज से पूरी की पढ़ाई
कैप्टन संध्या ने दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज से केमेस्ट्री में ग्रेजुएट (बीएससी ऑनर्स) की डिग्री हासिल की हैं. इसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री पूरी की हैं. उनके लिए यह सिर्फ अकादमिक सफलता नहीं थी, बल्कि भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था. सेना में जाने का उनका लक्ष्य अपने पिता सूबेदार के.आर. महला (सेवानिवृत्त) को देखकर मिली. वह सेना में जाने के लिए 8 बार SSB क्वालीफाई कर चुकी हैं.

कई बार असफल होने के बाद OTA में मिली जगह 
भारतीय सेना में प्रवेश के लिए संध्या को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. वर्ष 2018 में उन्होंने अपना पहला एसएसबी इंटरव्यू पास किया. हालांकि कई बार मेरिट लिस्ट में स्थान न पाने के कारण उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः दिसंबर 2021 में चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में अपना स्थान सुरक्षित किया. अपनी यात्रा के दौरान संध्या को आत्म-संदेह और मानसिक संघर्षों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनके लिए “कभी हार न मानना” केवल एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन का मूल मंत्र था.

महिलाओं के लिए हैं प्रेरणा
संध्या मानती हैं कि कठिन परिश्रम, आत्म-विश्वास और सही दिशा में लगातार प्रयास से हर असंभव कार्य संभव बनाया जा सकता है. कैप्टन संध्या महला ने 75वें गणतंत्र दिवस परेड में 148-सदस्यीय महिला दल का नेतृत्व किया. यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक था. उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया और यह सुनिश्चित किया कि दल का हरेक मेंबर डिसिप्लिन और कोऑर्डिनेशन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करें.

कैप्टन संध्या महला की सफलता उन सामाजिक और पारंपरिक बाधाओं को तोड़ने की कहानी है, जो महिलाओं की क्षमताओं को सीमित करने का प्रयास करती हैं. उनकी सफलता यह बताती है कि भारतीय सेना में अब योग्यता और क्षमता ही सर्वोपरि हैं, लिंग नहीं.

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First Published :

January 31, 2025, 21:22 IST

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DU के इस कॉलेज से ग्रेजुएट, 8 बार क्रैक किया SSB, ऐसे सेना में बनीं कैप्टन 

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