Last Updated:January 31, 2025, 23:50 IST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का इकनॉमिक सर्वे पेश किया, जिसमें कंपनियों के मुनाफे और कर्मचारियों की सैलरी में असमानता पर चिंता जताई गई है. सर्वे में बताया गया कि कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है, लेकिन ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- वित्त मंत्री ने 2024-25 का इकनॉमिक सर्वे पेश किया.
- कंपनियों के मुनाफे और कर्मचारियों की सैलरी में असमानता पर चिंता.
- सर्वे में रोजगार और आय का उचित बंटवारा जरूरी बताया गया.
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 2024-25 का इकनॉमिक सर्वे पेश किया, जिसमें भारतीय कंपनियों के बढ़ते मुनाफे और कर्मचारियों की सैलरी में कमी के बीच असमानता को लेकर चिंता जताई गई है. सर्वे में बताया गया कि कंपनियों का मुनाफा बढ़ तो रहा है, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी में इस वृद्धि का फायदा नहीं पहुंच रहा है. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन द्वारा तैयार किए गए इस सर्वे में मुनाफे और वेतन के बीच की असमानता की जांच करने की सिफारिश की गई है, जिससे यह समझा जा सके कि कैसे यह अंतर उत्पादकता, प्रतिस्पर्धा और लगातार विकास को प्रभावित कर सकता है.
सर्वे के मुताबिक, वित्तीय, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में मजबूती के चलते 2024 में कॉर्पोरेट प्रॉफिटेबिलिटी 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. निफ्टी 500 कंपनियों में प्रॉफिट-टू-जीडीपी रेश्यो 2003 के 2.1% से बढ़कर 2024 में 4.8% हो गया, जो 2008 के बाद सबसे ज्यादा है. हालांकि, इसके बावजूद कंपनियों ने कर्मचारियों की सैलरी में उतनी वृद्धि नहीं की है जितनी उनके मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है. सर्वे में बताया गया कि 2024 में मुनाफा 22.3% बढ़ा, लेकिन रोजगार में केवल 1.5% की बढ़ोतरी हुई.
खर्चों को घटाने पर ध्यान
विशेष रूप से 4,000 लिस्टेड कंपनियों ने 6% रेवेन्यू ग्रोथ दिखाई, लेकिन कर्मचारियों पर होने वाला खर्च 13% बढ़ा, जो पिछले साल के 17% से कम था. इसका मतलब यह है कि कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के बजाय अपने खर्चों को घटाने पर ध्यान दिया. सर्वे के अनुसार, पिछले चार वर्षों में भारतीय कंपनियों ने स्थिर EBITDA मार्जिन बनाए रखे हैं, लेकिन वेतन वृद्धि में कमी आई है, जो गंभीर चिंता का कारण है. सर्वे में यह भी कहा गया कि इस असमान ग्रोथ ट्रेंड का असर खासकर आईटी सेक्टर पर देखा जा सकता है, जहां एंट्री-लेवल पर वृद्धि में ठहराव आया है. जीवीए में लेबर शेयर में मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बड़ी कंपनियों के मुनाफे में असमान वृद्धि ने आय असमानता को बढ़ा दिया है. इससे यह खतरा है कि अगर प्रॉफिट का अधिक हिस्सा कंपनियों को मिलता रहा और कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़े, तो अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है.
रोजगार और आय का उचित बंटवारा जरूरी
सर्वे ने यह भी स्पष्ट किया कि सस्टेनेबल इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए रोजगार और आय का उचित वितरण बेहद जरूरी है. ऐसा करने से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा और उत्पादन क्षमता में निवेश बढ़ेगा. सर्वे में जापान का उदाहरण दिया गया, जहां द्वितीय विश्व युद्ध के बाद औद्योगिकीकरण के दौरान, श्रमिकों को उनके काम का उचित हिस्सा दिया गया, जिससे देश की उत्पादकता में वृद्धि हुई और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा मिला.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
January 31, 2025, 23:50 IST