Last Updated:January 31, 2025, 14:39 IST
Economic survey-इकोनॉमिक सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा गया है कि यह एक स्थिर विकास पथ पर अग्रसर है. मैक्रोइकोनॉमिक हेल्थ सकारात्मक बनी हुई है. आने वाले वर्षों में भारत अपनी आर्थिक विकास दर को त...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया.
- FY26 में भारत की विकास दर 6.3-6.8% रहने का अनुमान.
- महंगाई में गिरावट और निवेश में वृद्धि की संभावना.
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को लोकसभा में पेश किया. इस सर्वेक्षण में रिटेल महंगाई के लक्षित स्तर पर बने रहने की उम्मीद जताई गई है. इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) की चौथी तिमाही में मौसमी रूप से सब्जियों की कीमतों में गिरावट और खरीफ फसल की आवक के चलते खाद्य मुद्रास्फीति नरम होने की संभावना है. वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति का दबाव घट रहा है, लेकिन मध्य पूर्व में तनाव और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसी भू-राजनीतिक बाधाओं के कारण उत्पन्न समन्वित मूल्य (synchronised price) दबावों का जोखिम अभी भी बना हुआ है.
इकोनॉमिक सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा गया है कि यह एक स्थिर विकास पथ पर अग्रसर है. मैक्रोइकोनॉमिक हेल्थ सकारात्मक बनी हुई है. आने वाले वर्षों में भारत अपनी आर्थिक विकास दर को तेज करने के लिए प्रयासरत है और घरेलू कॉर्पोरेट तथा वित्तीय क्षेत्रों में मजबूत बैलेंस शीट इस लक्ष्य को हासिल करने में सहायक हो रही है. वैश्वीकरण में गिरावट देखी जा रही है. ऐसे में अगले दो दशकों में विकास दर को बढ़ाने के लिए नियमन-मुक्त (डिरेगुलेशन) प्रोत्साहन द्वारा डेमोग्राफिक डिविडेंड को भुनाने की आवश्यकता होगी.
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संरचनात्मक सुधारों की जरूरत
भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार लाने के लिए जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधारों (स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स) और नियमन-मुक्त (डिरेगुलेशन) कदम उठाने की जरूरत है. भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है, जिसमें बाहरी खाते (एक्सटर्नल अकाउंट) स्थिर हैं और निजी खपत संतुलित है. सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (पब्लिक कैपेक्स) में वृद्धि और व्यापारिक उम्मीदों में सुधार से निवेश गतिविधि बढ़ने की संभावना है.
ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद देश से होने वाला एक्सपोर्ट बढ़ा है. वित्त वर्ष 2025 के 9 महीने तक एक्सपोर्ट में स्थिर ग्रोथ देखने को मिली है. वित्त वर्ष 2025 के 9 महीने तक एक्सपोर्ट ग्रोथ 6 फीसदी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2025 के 9 महीने तक देश से 60,260 करोड़ डॉलर का एक्सपोर्ट हुआ है. दिसंबर तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 64,030 करोड़ डॉलर के स्तर पर था.
निवेश और उत्पादन में वृद्धि
घरेलू मोर्चे पर आर्थिक सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष 2026 (FY26) में निवेश, उत्पादन वृद्धि और मुद्रास्फीति में गिरावट की संभावना व्यक्त करता है. यह सरकार की अनुसंधान एवं विकास (R&D), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) और पूंजीगत वस्तुओं (कैपिटल गुड्स) के प्रति प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है जो दीर्घकालिक औद्योगिक विस्तार के प्रमुख कारक माने जा रहे हैं.
विकास दर 6.3-6.8 फीसदी रहने का अनुमान
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2026 (FY26) में भारत की विकास दर 6.3 फीसदी से 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है. सर्वे में कहा गया है कि ‘विकसित भारत’ (Viksit Bharat) 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश को अगले एक या दो दशकों में औसतन 8% की विकास दर बनाए रखनी होगी.अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पूर्वानुमानों के अनुसार, भारत की आर्थिक स्थिति सकारात्मक बनी हुई है.
क्यों गिरा रुपया
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि 2024 में रुपये में गिरावट मुख्य रूप से मजबूत अमेरिकी डॉलर, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी चुनाव को लेकर अनिश्चितता के कारण हुई है. शेयर बाजार में कहा गया है कि 2025 में महत्वपूर्ण बाजार सुधार (Meaningful Market Correction) का भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से नए रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए.
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
January 31, 2025, 14:39 IST