साइंस सभी को हैरान करती है. कितना हैरान करती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हैं. साइस की रिसर्च में अक्सर ऐसे नतीजे मिलते हैं जो किसी विज्ञान फंतासी से भी ज्यादा काल्पनिक लगते हैं. विज्ञान में कुछ धारणाएं तो ऐसी हैं जो अभी सिद्ध नहीं हुई हैं, लेकिन उनके नतीजे बहुत ही चौंकाने वाले होते हैं. इन्हीं में ब्लैक होल लंबे समय तक शामिल था, लेकिन उसकी होने की पुष्टि दशकों बाद हुई. डार्क मैटर और बहुत ही छोटे ब्लैक होल इनमें नए नाम हैं. इन छोटे से ब्लैक होल को आदिम ब्लैक होल, या प्राइमोर्डियल ब्लैक होल (PBH) कहते हैं. इन्हीं पर एक आश्चर्यजनक अध्ययन में, खगोलविदों ने पाया है कि छोटे आदिम ब्लैक होल संभवतः चंद्रमाओं, क्षुद्रग्रहों या यहां तक कि पृथ्वी जैसे ग्रहों के अंदर छिपे हुए हैं. आइए जानते हैं कि ये कैसे ब्लैक होल हैं और इस रिसर्च के नतीजों के मायने क्या हैं?
क्या हैं ये काल्पनिक ब्लैक होल
वैज्ञानिकों के अनुसार, ये काल्पनिक ब्लैक होल बिग बैंग के तुरंत बाद बन गए थे. ये बहुत ही छोटे थे और उप-परमाणु पदार्थ या सबएटोमिक मैटर से पैदा हुए थे. इनका आकार कई किलोमीटर जितना भी हो सकता है. ये इतने घने थे कि उन्हें ग्रैविटी खत्म होने की नौबत आ गई थी.इस प्रक्रिया को गुरुत्वाकर्षण पतन कहते हैं.
कहां होते हैं ये महीन ब्लैक होल?
आज, वैज्ञानिक PBH को डार्क मैटर मानते हैं. यह आदिम गुरुत्वाकर्षण तरंगों का एक संभावित स्रोत है. हालिया शोध के अनुसार, छोटे PBH शायद मेन सीक्वेंस न्यूट्रॉन और बौने तारों के अंदरूनी हिस्सों में मौजूद हैं और धीरे-धीरे उनकी गैस सप्लाई का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इस तरह के ब्लैक होल ब्रह्माण्ड की शुरुआत में बने थे, लेकिन अब ग्रहों और क्षुद्रग्रहों के अंदर भी हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
खोजने के नए तरीकों पर विचार
भौतिकविदों की एक टीम ने हाल ही में एक अध्ययन में PBH को खोजने के लिए एक नया रास्ता सुझाया है और उस विचार करने का प्रस्ताव दिया है. यहां बताया गया है कि कैसे साइंटिस्ट PBH को खोजने की कोशिश कर रहे हैं. टीम का इरादा PBH के गुजरने के संकेतों का पता लगाने के लिए धातु की बड़ी प्लेटों या स्लैब का उपयोग करने का है. इससे उन्होंने ग्रहों और क्षुद्रग्रहों के अंदर उन्हें खोजने की योजना बनाई है.
तो पृथ्वी के अंदर खोजा जाए उन्हें?
जी हां, वे चाहते हैं कि पृथ्वी जैसे ग्रहों के अंदर ही ऐसे छोटे से ब्लैक होल की खोज की जाए. वैज्ञानिक उन सूक्ष्म चैनलों का पता लगा रहे हैं, जो ये बड़े पिंड छोड़ेंगे जिससे वे PBH के अस्तित्व का पता लगा सकें. यह शोध ताइवान में नेशनल डोंग ह्वा यूनिवर्सिटी के भौतिक विज्ञानी डे-चांग दाई और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी में कॉस्मोलॉजी और एस्ट्रोफिजिक्स में शिक्षा और अनुसंधान केंद्र (CERCA) के साथ-साथ डेजान स्टोजकोविक ने किया था.
ग्रहों और क्षुद्रग्रहों के अंदर आए बदलाव ब्लैक होल की उपस्थिति बता देंगे. (फाइल फोटो)
शोधपत्र में, नतीजों को विस्तार से बताया गया है और समीक्षा के बाद इसे फिजिक्स ऑफ़ द डार्क यूनिवर्स पत्रिका में प्रकाशित किया जाना है. दशकों से, वैज्ञानिक PBH की खोज में लगे हुए हैं, जब से 1966 में रूसी वैज्ञानिकों इगोर डी. नोविकोव और याकोव ज़ेल्डोविच ने उनके अस्तित्व की खोज की थी.
अगर ग्रह या क्षुद्रग्रह के अंदर है ऐसा ब्लैक होल
यूनिवर्स टुडे से बात करते हुए डी-चांग और स्टोजकोविक ने बताया, “अगर किसी क्षुद्रग्रह, या चंद्रमा, या छोटे ग्रह (ग्रह) में ठोस क्रस्ट से घिरा एक तरल कोर है, तो एक छोटा PBH अपेक्षाकृत तेज़ी से (कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों के भीतर) घने तरल कोर को निगल जाएगा. अगर सामग्री गुरुत्वाकर्षण तनाव को सहन करने के लिए उतना मजबूत है, तो क्रस्ट बरकरार रहेगा.”
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स्टोजकोविक ने कहा “इस तरह, आखिर में हमें एक खोखली संरचना मिलेगी. हो सकता है कि दूसरी चीजों से के साथ टकराने के कारण केंद्रीय ब्लैक होल को बाहर निकाल जाए. ऐसे में यह एक तरल कोर के साथ एक चट्टानी चीज के मुकाबले कम घना होगा. उदाहरण के लिए, हमने पाया कि ग्रेनाइट पृथ्वी की त्रिज्या के 1/10 भाग तक की खोखली संरचनाओं को सहारा दे सकता है. यही कारण है कि हमें ग्रहों, चंद्रमाओं या क्षुद्रग्रहों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.”
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 08:01 IST