साफ पानी के धक्कमुक्की करते लोग
पटना. बिहार की राजधानी पटना तीन तरफ से नदियों से घिरा है. इसमें गंगा, सोन और पुनपुन शामिल है. पटना इस वक्त एक भयावह त्रासदी का सामना कर रहा है. मौजूदा स्थिति में गंगा नदी का पानी शहर में घुस चुका है और कई इलाकों में जिंदगी पूरी तरह से ठहर गई है. कंगन घाट गुरुद्वारा तक का रास्ता भी डूब चुका है. गंगा पथ स्थित बिंद टोली पूरी तरह पानी में समा गई है, जहां लोग अब अपने घरों से उजड़कर सड़कों पर शरण लिए हुए हैं.
बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी इस वक्त अस्थाई तंबुओं और प्लास्टिक की चादरों के नीचे सिमट कर रह गई है. हजारों लोग अपने परिवारों, बच्चों, और मवेशियों के साथ किसी तरह सड़कों पर गुजर-बसर कर रहे हैं. उनकी आंखों में हर दिन बस एक ही ख्वाहिश झलकती है कि काश, पानी उतर जाए और वे अपने घरों की दहलीज पर फिर से कदम रख सकें.
खाना पानी के लिए लंबी कतारें
बाढ़ से बेघर हो चुके लोगों के लिए जिला प्रशासन की ओर से गंगा पथ पर सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है. यहां खाने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं. लेकिन इस व्यवस्था में भी हालात बहुत विकट हैं. लोग घंटों तक खाने के लिए कतार में खड़े रहते हैं, और जब तक जाकर उनके हाथ में खाना आता है, वे पसीने से तर-ब-तर हो जाते हैं. बाढ़ में अपना सबकुछ खो चुके लोग रोज अपनी जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं. खाना के लिए लंबी कतारों में घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. साफ पानी पीने के लिए धक्का मुक्की करना पड़ रहा है.
एक महिला ने लोकल 18 को बताया, ‘सुबह से अब तक बच्चों ने कुछ नहीं खाया. मैं किचन से उनके लिए खाना लाने आई हूं, लेकिन यहां भी लंबी लाइन है. बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है, सिर्फ हमारे बदन पर जो कपड़े हैं, वही बचे हैं. बाकी सबकुछ गंगा के पानी में समा गया’.
गर्मी, बीमारी और एक्सीडेंट का खतरा
जो लोग अपने घरों से उजड़कर सड़कों पर शरण लिए हुए हैं, उनकी जिंदगी हर पल खतरों से घिरी हुई है. प्लास्टिक की छांव के नीचे तपती धूप में उनका जीना मुश्किल हो गया है. कुर्जी के रहने वाले एक बाढ़ पीड़ित ने Local 18 को बताया, ‘हम सड़क पर तंबू लगाकर रह रहे हैं. इतनी तेज धूप है कि बच्चों का शरीर जल रहा है. रात को गंगा पथ पर एक बच्चे का एक्सीडेंट भी हो गया. हालात ऐसे हैं कि जीवन और मौत के बीच बस कुछ कदमों का फासला बचा है’.
गर्मी और खराब सफाई के चलते बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है. सामुदायिक किचन की व्यवस्था में कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि खाना ठीक नहीं है और बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा.
प्रशासन का दावा, रोज 1600 लोगों को भोजन
दूसरी ओर, जिला प्रशासन का कहना है कि वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि कोई भी भूखा न रहे. गंगा पथ पर बनाए गए सामुदायिक किचन में रोज 1600 से 2000 लोगों को खाना खिलाया जा रहा है. प्रशासन के अनुसार, यहां शनिवार को खिचड़ी और चोखा मिलता है जबकि बाकी अन्य दिन दाल, चावल और सब्जी मिलता है. दिनभर लोगों के लिए खाना बनता रहता है. एक दिन में औसतन 1600 से 2000 लोग भोजन कर रहे हैं. हालांकि, बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि यह व्यवस्था उनकी परेशानियों के आगे नाकाफी है.
क्या है नदियों के जलस्तर का ताजा अपडेट
22 सितंबर सुबह जिला प्रशासन की ओर से जारी अपडेट के अनुसार पटना जिला में गंगा का जलस्तर अभी भी मनेर, दीघा घाट, गांधी घाट और हाथीदह में खतरे के निशान के उपर है लेकिन कमी की ओर है. दीघा घर पर गंगा का मौजूदा जलस्तर 51.47 मीटर है जबकि खतरे का निशान 50.45 मीटर है. इसी प्रकार, गांधी घाट का जलस्तर 50.07 मीटर है जबकि खतरे का निशान 48.60 मीटर है. राहत की खबर यह है कि नदियों का जलस्तर अब गिरावट की ओर है.
उम्मीद और संघर्ष के बीच फंसी जिंदगियां
पटना के लोग इस बाढ़ की त्रासदी में अपनी जिंदगी का हर लम्हा मौत से लड़कर जी रहे हैं. उजड़े घर, बर्बाद खेत, और खोई हुई उम्मीदों के बीच, उनकी आंखों में बस एक ही सपना है कि पानी कम हो और वे अपने घरों को लौट सकें. मगर तब तक, यह संघर्ष उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 14:10 IST