J&K चुनाव : आखिरी चरण में 7 जिलों की 40 सीटों पर कल मतदान, दांव पर कई दिग्गजों की साख

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नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के लिए मंगलवार को वोटिंग होगी. इस फेज में दो पूर्व उपमुख्यमंत्रियों तारा चंद और मुजफ्फर बेग समेत 415 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. इस महत्वपूर्ण चरण में 39.18 लाख से अधिक मतदाता 5,060 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस दौरान 40 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे, जो जम्मू क्षेत्र के जम्मू, उधमपुर, सांबा और कठुआ तथा उत्तरी कश्मीर के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में हैं.

प्रदेश के सात जिलों में होने वाले मतदान को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. फाइनल वोटिंग के लिए करीब 20,000 से अधिक मतदान कर्मियों को तैनात किया गया है.

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मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा. इसके अलावा, अगर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्र परिसर में कतार में खड़े हैं तो शाम छह बजे के बाद भी मतदान जारी रहेगा.

जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) आनंद जैन ने कहा कि मतदान वाले क्षेत्रों में ‘आतंकवाद मुक्त और शांतिपूर्ण' मतदान सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

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कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हजारों चुनाव कर्मचारी चुनाव सामग्री के साथ सोमवार सुबह अपने-अपने जिला मुख्यालयों से रवाना हो गए थे, ताकि समय से अपने निर्धारित मतदान केन्द्रों पर अपना पहुंच सकें.

जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पांडुरंग के. पोले के अनुसार, अंतिम चरण में 24 सीट जम्मू क्षेत्र में और 16 सीट कश्मीर घाटी में हैं. उन्होंने कहा कि 50 मतदान केन्द्रों का प्रबंधन महिलाओं द्वारा किया जाएगा, जिन्हें ‘पिंक मतदान केन्द्र' कहा जाता है. सीईओ के मुताबिक, इसके अलावा 43 मतदान केन्द्रों का प्रबंधन दिव्यांग व्यक्तियों के हाथों में होगा, जबकि 40 मतदान केन्द्रों का प्रबंधन युवा करेंगे. सभी मतदान केन्द्रों के परिसर में 1.07 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं.

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वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण की पूर्व संध्या पर कहा कि नियमों के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार को मिले मतों को हर दौर की गिनती के बाद प्रदर्शित किया जाएगा. जनता को मतगणना प्रक्रिया के बारे में फैलाई जा रही गलत सूचनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

इस चरण में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन और नेशनल पैंथर्स पार्टी इंडिया के अध्यक्ष देव सिंह जैसे प्रमुख नेताओं की किस्मत दांव पर है. लोन कुपवाड़ा की दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सिंह उधमपुर की चेनानी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

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पूर्व मंत्री रमन भल्ला (आरएस पुरा), उस्मान माजिद (बांदीपुरा), नजीर अहमद खान (गुरेज़), ताज मोहिउद्दीन (उरी), बशारत बुखारी (वागूरा-क्रीरी), इमरान अंसारी (पट्टन), गुलाम हसन मीर (गुलमर्ग), चौधरी लाल सिंह (बसोहली), राजीव जसरोटिया (जसरोटा), मनोहर लाल शर्मा (बिलावर), शाम लाल शर्मा और अजय कुमार सधोत्रा ​​(जम्मू उत्तर), मूला राम (मढ़), चंद्र प्रकाश गंगा और मंजीत सिंह (विजापुर) समेत अन्य उम्मीदवार मैदान में हैं.

इस फेज के चुनाव में अहम झलकियों में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, वाल्मीकि समाज और गोरखा समुदाय की भागीदारी होगी, जिन्हें अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद ही विधानसभा, शहरी स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों में मतदान का अधिकार मिला है. इससे पहले उन्होंने 2019 और 2020 में ब्लॉक विकास परिषद और जिला विकास परिषद चुनावों के लिए मतदान किया था.

पहले चरण में मतदान प्रतिशत काफी अच्छा रहा था, 18 सितंबर को पहले चरण में 61.38 फीसदी और 26 सितंबर को दूसरे चरण में 57.31 प्रतिशत मतदान हुआ था. जम्मू-कश्मीर में अब तक हुए 50 विधानसभा सीट पर चुनाव में से 17 पर पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया है. पिछले चुनावों की तुलना में उम्मीदवारों की संख्या भी अधिक है.

अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से जम्मू -कश्मीर में ये पहला विधानसभा चुनाव है, जिसके नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.

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इस बार उम्मीदवारों के बीच चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा 'अनुच्छेद 370' और 'राज्य का दर्जा' रहा. विकास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बेहतर सड़कें, सुरक्षित पेयजल, सस्ती बिजली और नागरिक सुविधाएं हर राजनीतिक दल के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा थीं, लेकिन आखिरकार लड़ाई उन लोगों के बीच थी जो 'अनुच्छेद 370' की बहाली और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देना चाहते थे.

दिलचस्प बात यह है कि 'अनुच्छेद 370' की बहाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण थी, लेकिन राज्य का दर्जा हर राजनीतिक दल द्वारा किए गए घोषणा पत्र में से एक वादा था.

विधानसभा चुनाव में एनसी के साथ पूर्व गठबंधन के बावजूद कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में या राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, सचिन पायलट और प्रियंका गांधी सहित अपने शीर्ष नेताओं के भाषणों में अनुच्छेद 370 के बारे में बात नहीं की.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने मतदाताओं से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल क‍िया जाएगा. चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उठाया गया एक मुद्दा ये था कि संसद में बहुमत वाली केंद्र की सरकार ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल कर सकती है.

इसके बावजूद, कांग्रेस, एनसी और पीडीपी ने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा. पूरे चुनाव प्रचार में एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे और एनसी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित पीडीपी नेतृत्व ने राज्य के मुद्दे का उल्लेख किए बिना एक भी भाषण नहीं दिया.

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