खाद्य पदार्थों में प्रयोग किए जाने वाले खास इत्र
अंजली शर्मा /कन्नौज: इत्र नगरी कन्नौज अपनी विशेष इत्रों के लिए जानी जाती है, जो न केवल सुगंध प्रदान करते हैं बल्कि कई खाद्य पदार्थों और आयुर्वेदिक दवाओं में भी इनका व्यापक प्रयोग होता है. यहां बनने वाले इत्रों में गुलाब, खस, केवड़ा, मिट्टी और शमामा इत्र प्रमुख हैं, जिनका उपयोग स्वादिष्ट व्यंजनों को और भी सुगंधित और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है.
कन्नौज में बने प्राकृतिक इत्र कई खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किए जाते हैं. प्रमुख रूप से गुलाब और केवड़ा इत्र का उपयोग मिठाइयों में होता है, जो उनकी सुगंध और स्वाद को बढ़ा देता है. खस इत्र का प्रयोग शरबत में किया जाता है, जिससे उसे एक ताजगी भरी सुगंध मिलती है. वहीं शमामा इत्र, जिसे बिरयानी की जान कहा जाता है, खासतौर पर लखनऊ की बिरयानी में मसाले के रूप में उपयोग होता है. यह इत्र जड़ी-बूटियों और गरम मसालों से बना होता है, जो बिरयानी के स्वाद को अनोखा और खास बनाता है.
इत्र की कीमत
इन इत्रों की कीमत भी उनके गुण और विशेषता के अनुसार अलग-अलग होती है. केवड़ा इत्र की कीमत 40,000 से 50,000 रुपये प्रति किलो तक होती है. गुलाब इत्र की कीमत लाखों में पहुंच सकती है. वहीं, शमामा इत्र की भी कीमत लाखों में होती है, यह इसकी दुर्लभता और उपयोगिता को दर्शाता है.
इत्र व्यापारियों की राय
इत्र व्यापारी निशिष तिवारी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि कन्नौज में बनने वाला इत्र न केवल सुगंध के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे खाद्य पदार्थों और आयुर्वेदिक दवाओं में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. गुलाब और केवड़ा इत्र मिठाइयों में प्रमुख रूप से प्रयोग होते हैं, जबकि खस इत्र का इस्तेमाल शरबत में होता है. शमामा इत्र, जो बिरयानी में एक प्रमुख मसाले के रूप में प्रयोग होता है, कई दवाओं में भी शामिल किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 23, 2024, 16:42 IST