हाइलाइट्स
युधिष्ठिर यमराज की पूजा करते थे, क्योंकि वो सत्य-निष्ठा के रास्ते पर चलते थेकौरव भी करते थे चार खास देवी - देवताओं की आराधनाकर्ण रोज नहाने के बाद काफी देर तक सूर्य की पूजा करते थे
महाभारत में कहानियों का क्रम बहुत बड़ा है. इनमें बहुत कुछ ऐसा भी है, जो हमें नहीं मालूम. क्या आपको मालूम है कि पांडव और कौरव भी कुछ भगवानों की पूजा करते थे. दोनों आमतौर पर उस दौर के 4-5 बड़े देवी देवताओं की आराधना करते थे. तो हम आपको बताएंगे कि ये भगवान कौन थे. साथ इनमे से किसे सही मायनों में भगवानों का आर्शीवाद मिला.
सबसे पहले तो ये बता दें कि कृष्ण के साथ पांडवों के घनिष्ठ संबंध थे, जो उनके सहयोगी और मार्गदर्शक दोनों थे. भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध में अर्जुन के सारथी के रूप में कार्य किया. भगवद गीता के माध्यम से उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी दिया.
महाभारत के दौर में मुख्य तौर पर ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा और यम की पूजा की जाती थी. इंद्र की पूजा भी होती थी. हालांकि इन सभी देवताओं की पूजा आज भी होती है लेकिन अब ब्रह्मा और इंद्र की पूजा उस तरह नहीं होती, जैसी तब होती थी. यम की उपासना का रिवाज भी अब सामान्य तौर पर नहीं है लेकिन तब उनकी भी आराधना होती थी.
द्रौपदी थीं किसकी भक्त
अब जानते हैं कि कौन से पांडव और द्रौपदी किसकी उपासना करते थे. महाभारत की कहानियों के अनुसार, पांडवों की पत्नी द्रौपदी दुर्गा (या उनके योद्धा रूप में पार्वती) की भक्त थीं.दुर्गा से उनकी प्रार्थनाओं का जिक्र अक्सर महाभारत में आया है.
पांडवों की पत्नी द्रौपदी देवी दुर्गा की उपासना करती थीं (image generated by Leonardo AI)
कौन था शिव का उपासक
खासतौर पर अर्जुन भगवान शिव के उपासक थे. उन्होंने गहन तपस्या के बाद शिव से शक्तिशाली हथियार पाशुपतास्त्र प्राप्त किया. हालांकि शिव को अन्य पांडवों द्वारा भी पूजा जाता था. कौरव भी भगवान शिव के उपासक थे.
भीम थे किसके भक्त
पांडवों में सबसे बलशाली भीम को हनुमान की उपासना के लिए जाना जाता है. महाभारत में एक जगह जिक्र भी आया है कि वनवास के दौरान कैसे हनुमान ने भीम की परीक्षा ली. कहा जाता है कि भीम के रथ पर हनुमान की पताका थी. भीम को अपनी शक्ति और वीरता के लिए जाना जाता है.
पांडव खासतौर पर कृष्ण की भक्ति करते थे. हालांकि वो उनके सखा भी थे लेकिन हर संकट के समय ना केवल उनके साथ होते थे बल्कि संकटमोचक भी थे. (image generated by Leonardo AI)
भीम की हनुमान के प्रति भक्ति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण तब देखने को मिलता है जब उन्होंने हनुमान जी से प्रेरणा ली और उन्हें अपने बलशाली व्यक्तित्व का आदर्श माना. भीम का मानना था कि हनुमान की शक्ति और भक्ति उन्हें युद्ध में विजय दिला सकती है. भीम ने अन्य देवताओं की भी पूजा की, लेकिन हनुमान के प्रति उनकी विशेष श्रद्धा और भक्ति थी.
युधिष्ठिर के आराध्य कौन थे
धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाने वाले युधिष्ठिर को यम (मृत्यु और धर्म के देवता) का पुत्र माना जाता था. उनके दृढ़ नैतिक नियम और धर्म के प्रति श्रद्धा यम के आदर्शों के प्रति उनके समर्पण का हिस्सा थे. वह उनकी लगातार पूजा अर्चना करते थे.यमराज को धर्म का प्रतीक माना जाता है. युधिष्ठिर को भी “धर्मराज” कहा जाता है, क्योंकि वह भी हमेशा सत्य और धर्म के प्रति अडिग निष्ठा पर चलने वाले थे.
पांडवों में अर्जुन खासतौर पर भगवान शिव के भक्त थे. उन्होंने शिव के लिए कड़ी तपस्या कर खास शस्त्र हासिल किए थे. (image generated by Leonardo AI)
युधिष्ठिर का जन्म यमराज के अंश के रूप में हुआ था, जब उनकी माता कुंती ने यम का आह्वान किया. उनका जीवन सत्यवादिता और धार्मिक आचरण के लिए विख्यात रहा. इस प्रकार युधिष्ठिर की पूजा का मुख्य देवता यमराज ही हैं, जो उन्हें नैतिकता और धर्म का मार्ग दिखाते हैं. महाभारत में युधिष्ठिर ने इंद्र की भी पूजा की, विशेषकर जब उन्होंने स्वर्गारोहण किया. इंद्र ने उन्हें स्वर्ग में आमंत्रित किया.
अर्जुन किसके उपासक
अर्जुन को इंद्र, वर्षा और वज्र के देवता का पुत्र भी माना जाता था. उन्होंने उनसे वरदान और हथियार प्राप्त किए थे. इंद्र ने पांडवों को उनके वनवास के दौरान सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अर्जुन ताजिंदगी इंद्र और भगवान शिव के उपासक बने रहे. महाभारत और अन्य संदर्भों में ये उल्लेख है कि भगवान शिव का वरदान हमेशा अर्जुन के साथ रहा.
नकुल और सहदेव के देव कौन
नकुल और सहदेव मुख्य रूप से अश्विनी कुमारों की पूजा करते थे. अश्विनी कुमार दैवीय चिकित्सक माने जाते हैं. उन्हीं के फलस्वरूप नकुल और सहदेव का जन्म हुआ. इन दोनों भाइयों की विशेषता यह थी कि वे आयुर्वेद और अश्व चिकित्सा में निपुण थे. नकुल और सहदेव की पूजा का मुख्य देवता अश्विनी कुमार हैं, जो स्वास्थ्य और चिकित्सा के प्रतीक हैं.
सभी पांडव कृष्ण की भक्ति भी करते थे
पांडवों ने ना केवल युद्ध में आशीर्वाद के लिए बल्कि अपने आध्यात्मिक और नैतिक मार्ग को बनाए रखने के लिए भी इन देवी-देवताओं की पूजा की. कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था. पांडव उनके सखा भी थे और भक्त भी. जब संकट का समय आता था, तब वह उनका साथ देते थे.
भगवान विष्णु हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं. उन्हें ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है. महाभारत में भगवान विष्णु कई रूपों में प्रकट होते हैं, जिनमें भगवान कृष्ण और सूअर के सिर वाले अवतार वराह शामिल हैं. तो महाभारत में भगवान ब्रह्मा को दुनिया के निर्माता के रूप में उल्लेख किया गया है.
गणेश महाभारत में कहां हैं
भगवान गणेश भी महाभारत में मौजूद हैं. उन्हें महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य कहानी लिखने में मदद के लिए बुलाया था.
कर्ण रोज किसकी पूजा करते थे
कर्ण रोज सुबह नहाने के बाद सूर्य देवता की पूजा करते थे. उन्हें अर्ध्य देते थे. उस समय उनसे जो कोई भी कुछ मांगता था, वो कभी मना नहीं करते थे. वह भगवान सूर्य के पुत्र कहे जाते थे. उन्हें एक सारथी द्वारा पाला गया. बाद में उन्हें अपने शाही वंश का पता चला. भगवान सूर्य ने कर्ण को एक दुर्जेय धनुष और बाण का आशीर्वाद दिया, जिसे उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान बड़ी कुशलता से चलाया.
भगवान वरुण का भक्त कौन
अश्वत्थामा भगवान वरुण की पूजा करते थे. उन्हें महाभारत में अश्वत्थामा के पिता के रूप में दिखाया गया है. अपनी असाधारण गति, धनुष और बाण की विशेषज्ञता के लिए जाने जाने वाले अश्वत्थामा ने असाधारण रथ चलाने का कौशल भी दिखाया, जिससे वह युद्ध में कई पांडवों को हराने में सक्षम हुए.
कौरव करते थे किसकी पूजा
कौरव पांडवों की ही तरह क्षत्रिय वंश के थे. अपने समय की धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते थे. वह कई देवी-देवताओं की पूजा करते थे. कौरव युद्ध में विजय के लिए विशेष रूप से शिव, दुर्गा, और इंद्र जैसे देवताओं की आराधना करते थे. दुर्योधन और उसके भाई शक्ति और पराक्रम प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओं का आह्वान करते थे. दुर्योधन और कौरव देवी-देवताओं की पूजा अपने व्यक्तिगत लाभ, जैसे शक्ति और हथियार प्राप्त करने के लिए करते थे.
कौरवों के लिए शिव, दुर्गा, सूर्य, इंद्र मुख्य रूप से वो देवता थे, जिनकी वो पूजा उपासना करते थे. युद्ध और शक्ति के लिए शिव की आराधना करते थे तो विजय और सुरक्षा के लिए दुर्गा की. राजा होने के कारण दुर्योधन ने इंद्र की कृपा पाने की कोशिश की.
Tags: Mahabharat
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 12:40 IST