Mud House: पहाड़ों के अनोखे घर, सर्दी में गर्म तो गर्मी में ठंडे लेकिन कैसे?

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पहाड़ों

पहाड़ों में आज भी मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से घर बनाए जाते हैं.

बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे कई पहाड़ी इलाकों में आज भी मिट्टी के घर बनाए जाते हैं. इन घरों में रहने के कई अनोखे फायदे हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि ये कम लागत में बन जाते हैं. इन घरों को पहाड़ की धरोहर भी माना जाता है. पहाड़ के लोग आज भी इन घरों में रहना पसंद करते हैं. लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए स्थानीय जानकार किशन मलड़ा बताते हैं कि गांवों से पलायन करने के बाद भी लोग गांव में अपने मिट्टी और पत्थर के मकानों को सुरक्षित रखते हैं. इन मकानों की खासियत यह है कि यह सर्दियों के मौसम में ये गर्म रहते हैं और गर्मी के मौसम में ठंडे रहते हैं. इन्हें बनाने में पहाड़ में उपलब्ध सामग्री जैसे- चीड़ की लकड़ी, प्लेन पत्थर, मिट्टी और गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है.

उन्होंने कहा कि मिट्टी के घरों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये घर सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडे रहते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मिट्टी और पत्थर गर्मी और ठंडक को संतुलित रखने में मददगार होते हैं. इन घरों का निर्माण कम लागत में किया जा सकता है क्योंकि इसमें स्थानीय संसाधनों जैसे- मिट्टी, पत्थर और लकड़ी का उपयोग होता है. यह सामग्री न केवल सस्ती होती है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होती है. इनके निर्माण के लिए सीमेंट और अन्य महंगे विकल्पों की जरूरत नहीं होती है.

संस्कृति और परंपरा के प्रतीक 
किशन मलड़ा ने कहा कि मिट्टी और पत्थर के घर पहाड़ी धरोहर का हिस्सा भी माने जाते हैं. यहां के स्थानीय निवासी अपनी परंपराओं से जुड़े रहने के लिए इन घरों को सुरक्षित रखते हैं. यहां तक कि जो लोग गांव से पलायन कर शहरों में बस गए हैं, वे भी समय-समय पर अपने इन घरों की देखभाल करने गांव आते हैं. पारंपरिक डिजाइनों के अनुसार बने ये घर भूकंपरोधी होते हैं और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से भी निपटने में सक्षम होते हैं. इनकी छत और दीवारें इस तरह बनाई जाती हैं कि बारिश का पानी आसानी से बह जाए और घर सुरक्षित रहे.

स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहतर
उन्होंने आगे कहा कि मिट्टी के घरों में नमी और तापमान का संतुलन प्राकृतिक रूप से बना रहता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं. इनके निर्माण में किसी भी प्रकार का हानिकारक रसायन प्रयोग नहीं होता है, जिस कारण ये घर पर्यावरण के अनुकूल होते हैं. उनका मानना है कि आज भले ही आधुनिकता के दौर में कंक्रीट के मकानों का चलन बढ़ गया है लेकिन मिट्टी और पत्थर के घरों का महत्व अभी भी जिंदा है. ये कम लागत में आरामदायक जीवनशैली देते हैं और पर्यावरण के साथ ही परंपरा को भी संरक्षित करते हैं. मिट्टी के घर पहाड़ी जीवनशैली का हिस्सा हैं. सरकार और स्थानीय संस्थाएं इन घरों को होमस्टे के माध्यम से भी बढ़ावा दे रही हैं.

Tags: Bageshwar News, Local18, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

November 26, 2024, 13:15 IST

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