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पटना. 23 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए. इन नतीजों में बीजेपी और उनके सहयोगी दलों को हार का सामना करना पड़ा. चुनावी गतिविधियों को करीब से समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि झारखंड में बीजेपी का एजेंडा और नारा फेल हो गया. झारखंड की जनता ने “बंटोगे तो कटोगे” या “एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारों को स्वीकार करने से साफ मना कर दिया. अब अगले साल यानी 2025 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. ऐसे में, बिहार में बीजेपी का एजेंडा चल पाएगा या नहीं, यह जानने के लिए लोकल 18 की टीम राजधानी पटना के वीरचंद पटेल मार्ग पहुंची.
यहां मौजूद लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ लोगों ने कहा कि हर राज्य का अपना अपना एजेंडा होता है. बिहार में बात विकास की होगी. यहां नीतीश कुमार के साथ मिलकर बीजेपी ने खूब काम किया है. वहीं, कुछ युवाओं का कहना है कि मुद्दा कोई भी हो, आखिरी में मतदान जाति देख कर ही होती है.
यहां गूंजेगा विकास का नारा
वीरचंद पटेल मार्ग पर गुलाबी ठंडक वाली शाम में लिट्टी चोखा का स्वाद ले रहे शैलेश कुमार ने बताया कि हर राज्य का अपना एजेंडा होता है. 2025 विधानसभा चुनाव में विकास का नारा गूंजेगा. उन्होंने आगे कहा कि यहां विकास ही सबका एजेंडा होगा. नीतीश कुमार और बीजेपी की जोड़ी बिहार में खूब विकास कर रही है. इसी विकास के आधार पर वोट एनडीए को मिलने वाली है.
सड़कों का बिछ गया है जाल, यही काफी है
अम्बिका राय ने बताया कि अगर बीजेपी नीतीश कुमार के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो बिना किसी शक के बिहार में इनकी सरकार बनेगी. पूरे बिहार में सड़कों और पुलों का जाल बिछा हुआ है. हालांकि जाम की समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. लेकिन बिहार में विकास ही मुख्य मुद्दा होगा.
तेजस्वी में है जुनून, बदलेंगे बिहार
युवा अनिकेत बताते हैं, “मैं तो लालू यादव की पार्टी को वोट देता हूं क्योंकि वो मेरे जाति के हैं. तेजस्वी में कैसी प्रतिभा है.” इस सवाल पर अनिकेत बताते हैं कि तेजस्वी उभरते हुए नेतृत्व का नाम है. आने वाले समय में बिहार की कमान उनके हाथों में होगी. उनके अंदर काम करने का जुनून दिखाई देता है.
बिहार में नौकरी की भरमार है
लिट्टी चोखा का स्वाद ले रहे इंद्रजीत बताते हैं कि बिहार में नौकरियों और सड़कों का भरमार है. युवाओं को रोज नौकरी मिल रही है. बिहार में नीतीश और बीजेपी की जोड़ी ही फिर से सत्ता में आने वाली है. वहीं, इंद्रजीत के बगल में लिट्टी खा रहे इकबाल बताते हैं कि बिहार में भले ही एनडीए की सरकार बनें लेकिन “बंटोगे तो कटोगे” जैसों नारों से यहां भी नुकसान झेलना पड़ा सकता है. झारखंड की तरह बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस तरह के नारों से नुकसान होगा.
मुद्दा कुछ भी हो लेकिन वोट तो जाति पर ही मिलता है
दो युवा दोस्तों की जोड़ी ने लोकल 18 को बताया कि बिहार में जातिवाद पर ही चुनाव होता है. विकास सिर्फ शहरों तक सीमित है. गांव में विकास कहां है? राजनीतिक दल वैसे कैंडिडेट को टिकट देता ही नहीं है जो क्षेत्र का विकास करें. मजबूरन लोगों को अपना अपना जाति देखना पड़ता है. उन्होंने आगे बताया कि हमलोग ग्रेजुएशन करके बैठे हुए हैं, कहीं कोई नौकरी नहीं मिला. अब तो हार चुके हैं. हर कोई जनता को उल्लू बना कर अपना रोटी सेंकने के चक्कर में है. इसीलिए हमलोग जाति देखकर ही मतदान करते हैं.
विकास और जाति, यही रहेगा चुनावी एजेंडा
पटना के वीरचंद पटेल मार्ग पर लोगों से बात करने पर यह साफ हुआ कि बिहार में विकास और जातिवाद दोनों अहम मुद्दे बने रहेंगे. एक तरफ, नौकरी और विकास को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी की सरकार की खूब तारीफ हो रही है, वहीं दूसरी तरफ सही कैंडिडेट को टिकट ना देना और युवा चेहरे को कमान सौंपने की जरूरत लोगों को महसूस हो रही है.
अब देखने वाली बात यह होगी कि झारखंड के नतीजों से सीख लेते हुए बीजेपी और उनके सहयोगी बिहार में किस तरह का पॉलिटिकल समीकरण तैयार करते हैं. क्या विकास का नारा, जातिवाद की राजनीति को पीछे छोड़ पाएगा, इस जवाब चुनावी परिणाम ही बताएंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 07:28 IST