बलिया: आज के दौर में गेहूं की खेती ने किसानों को मालामाल बनाने का रास्ता खोल दिया है. विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की खेती करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखकर और सही देखभाल से लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है.खेती में खाद और उर्वरक का सही तालमेल उत्पादन को दोगुना करने में सहायक होता है. आइए विस्तार से जानते हैं गेहूं की खेती की पूरी जानकारी.
गेहूं बुवाई का सही समय
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार, गेहूं की बुवाई का सही समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होता है. इस दौरान उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों की बुवाई की जाती है. इसके बाद, 15 दिसंबर से 20-25 दिसंबर तक मध्यम और देरी वाली प्रजातियां बोई जाती हैं. गेहूं की बुवाई से पहले खेत की जुताई कर उसे नमी युक्त बनाना चाहिए, ताकि फसल अच्छी तरह से जम सके.
बुवाई से पहले कर लें तैयारी
अगर आप 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुवाई कर रहे हैं, तो एक बीघा भूमि के लिए 25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. यदि आप देर से बुवाई कर रहे हैं, तो बीज की मात्रा 25 से बढ़ाकर 35 किलोग्राम करनी पड़ती है. उर्वरकों में संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है.गोबर और कंपोस्ट की कमी होने पर नाइट्रोजन, यूरिया, डीएपी, फास्फोरस, सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी), और न्यूरोटा पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके साथ ही बुवाई के समय 5 किलोग्राम सल्फर और 3 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करना लाभकारी होता है.
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इस विधि से करें बुवाई
गेंहू की बुवाई सीड ड्रिल विधि से करना अधिक लाभकारी होता है, क्योंकि इसमें बीज और उर्वरक दोनों साथ-साथ डाले जाते हैं और जमाव के साथ ही पौधों को पोषक तत्व मिलने लगते हैं.
पहली सिंचाई 20 से 25 दिनों के बीच अवश्य करें और इसके साथ नाइट्रोजन यानी यूरिया का इस्तेमाल करना आवश्यक है. गेहूं की फसल में उर्वरक और पानी का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 17:38 IST