झिझिया नृत्य
मधुबनी:- जैसे हर राज्य का अपना एक लोक नृत्य संस्कृति है, वैसे ही मिथिलांचल की भी एक लोक नृत्य संस्कृति बहुत प्रचलित है. झिझिया मिथिला का एक प्रमुख लोक नृत्य है. यह लोक नृत्य नवरात्रि में विशेष तौर पर देखने को मिलता है. बता दें कि दुर्गा पूजा के मौके पर इस नृत्य में लड़कियां बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. इस नृत्य में कुवारी लड़कियों से लेकर महिलाएं अपने सिर पर जलते दिए और छिद्र वाली घड़ा को लेकर नाचती हैं. इसके अलावा झिझिया नृत्य राजा चित्रसेन और उनकी रानी के प्रेम प्रसंगों पर आधारित है, जिसे उत्तर बिहार के लोग कला के माध्यम से दर्शाते हैं.
क्या है महत्व
झिझिया नृत्य में कुवारी लड़कियां और महिलाएं अपने सिर पर जलते दिए और छिद्र वाले घड़े लेकर नाचती हैं. यह नृत्य माता दुर्गा के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. जब महिलाएं इस नृत्य को प्रस्तुत करती हैं, तो न केवल वे अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं, बल्कि यह सामाजिक एकता और सहयोग का भी उदाहरण होता है. इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे का सहयोग करती हैं, जिससे उनकी बंधुत्व की भावना और मजबूत होती है. इस नृत्य का एक विशेष महत्व है, जो राजा चित्रसेन और रानी के प्रेम प्रसंगों से जुड़ा हुआ है. झिझिया नृत्य के माध्यम से मिथिलांचल के लोग इस प्रेम कहानी को जीवंत करते हैं, जिससे दर्शक उस युग में खो जाते हैं. नृत्य की गति और संगीत में जो ताजगी होती है, वह दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है.
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अनोखे प्रदर्शन से संजोए है सांस्कृतिक विराजत
नवरात्रि के समय, जब देवी माता के दरबार में भव्य आयोजन होते हैं, तब झिझिया का प्रदर्शन मुख्य आकर्षण का केंद्र बनता है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. यह न केवल धार्मिक कार्यक्रम है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल का भी अवसर है. स्थानीय लोग इस नृत्य के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए प्रयासरत हैं. झिझिया नृत्य की पहचान उसके अनोखे प्रदर्शन और संस्कृति में निहित है. यह मिथिलांचल की धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सहायक है. इस प्रकार, झिझिया नृत्य न केवल कला का प्रदर्शन है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देता है कि हमारी सांस्कृतिक पहचान को हमें संजोकर रखना चाहिए. इस नृत्य के माध्यम से, मिथिलांचल की संस्कृति और परंपरा जीवित रहती है, जो आने वाले समय में भी लोगों के दिलों में बसेगी. नवरात्रि के पर्व पर झिझिया का यह प्रदर्शन मातृशक्ति की आराधना का प्रतीक है, जो हर साल एक नई उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 19:28 IST