तेहरान. ईरान यह जान चुका है कि अब इजरायल से बचने का एक ही तरीका उसके पास है और वह ये कि उसका सामना किया जाए. यही बात ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला ख़ामेनेई के पोते हसन ख़ामेनेई ने भी मानी. उन्होंने कहा कि इजरायल तब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक कि ताकत और शक्ति के साथ इसका सामना नहीं किया जाएगा.
उन्होंने चैनल 1 के साथ एक इंटरव्यू में फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए जनमत संग्रह कराने के ईरान के सुझाव पर चर्चा की. हसन ने यह भी स्वीकार किया कि अगर जनमत संग्रह होता है, तो इससे फ़िलिस्तीनियों के बहुमत शासन की वजह से संभवतः इज़रायल का अंत हो जाएगा. खामेनेई ने दावा किया, “जिसे सबसे अधिक वोट मिलते हैं वह जीतता है, और यह अंततः इज़रायल को मिटा देगा, और वे इसे जानते हैं.”
हसन ख़ामेनेई ने अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल द्वारा प्रस्तावित टू-स्टेट समाधान की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दुनिया को इजरायली शासन की वैधता को स्वीकार करने की कोशिश करने की एक रणनीति है. ख़ामेनेई ने टू-स्टेट का विरोध करते हुए कहा कि “यह सोचना ग़लत है कि अगर हमने (ईरान) इजरायल को अकेला छोड़ दिया, तो इजरायल भी हमें अकेला छोड़ देगा.” ख़ामेनेई ने कहा कि उनका मानना है कि बातचीत और दोस्ताना संकेत उन्हें कहीं नहीं ले जाएंगे. इसके बजाय, ईरान को अपनी ताकत और सैन्य क्षमता दिखाने की जरूरत होगी क्योंकि वर्तमान वैश्विक स्थिति में इज़रायल से निपटने के लिए एक मजबूत नजरिए की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि इजरायली हवाई हमलों में हमास और हिजबुल्लाह नेताओं के मारे जाने के जवाब में ईरान ने जब इस सप्ताह इजरायल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागीं तो कुछ लोग तेहरान की इस जोरदार प्रतिक्रिया को देखकर दंग रह गए. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने तुरंत एक निश्चित समय पर कठोर जवाबी कार्रवाई की घोषणा की. इससे मिडिल-ईस्ट में युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 17:06 IST