शारदीय नवरात्रि
पूर्णिया:- नवरात्री में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. कई लोग पूरे नौ दिन कन्या पूजन व ब्राम्हण पूजन कर नवरात्री पूरा करते हैं. वहीं पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस बार नवरात्री में एक ही दिन दो तिथि के पड़ने से लोगों में कंफ्यूजन होने लगा, जिससे लोगों के बीच कन्या पूजन को लेकर कई तरह के सवाल होने लगे.
पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा लोकल 18 को बताते हैं कि सनातन धर्म में सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत मायने रखता है. इन्हीं चीजो को देखते हुए कोई भी शुभ कार्य में शुभ मुहूर्त बनते हैं. इस बार नवरात्र की शुरुआत 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक होना है. लेकिन लोगों में दो तिथि पड़ने से संशय बना है. उन्होंने लोगो के कंफ्यूजन को दूर करते हुए कहा कि 11 अक्टूबर को अष्टमी उपरांत नवमी पड़ता है. शास्त्र के मुताबिक, अष्टमी का उदय बंदना 11 तारीख को हो रहा है. लेकिन अष्टमी उपरांत नवमी होने से इसी दिन ही ब्राम्हण और कन्या पूजन इसी दिन होगा.
जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
जो माताएं अष्टमी पर ब्राह्मण को खिलाती हैं, वह ब्राह्मण को 11 तारीख को ही खिलाएं और जो नवमी पर ब्राह्मण खिलाते हैं, वह भी 11 तारीख को ही ब्राह्मण को खिलाएं. लेकिन इन दोनों में समय का फर्क रहेगा. अष्टमी तिथि प्रातः 7:01 के बाद और 10.41 बजे तक रहेगा. वहीं नवमी तिथि दोपहर 12 बजे के बाद से लगभग 4.28 मिनट तक चलेगा. इस दौरान कोई भी भक्त नियम पूर्वक कन्या पूजन कर सकते हैं.
कन्या पूजन के तरीके
पंडित मनोत्पल झा Local 18 को आगे बताते हैं कि कन्या पूजन करने के लिए हम सभी को सबसे पहले कन्या के पैर को जल से धोना चाहिए, जिसके बाद उन्हें साफ कपड़े से अच्छी तरह साफ कर उन्हें मान-सम्मान के साथ आसन पर बिठाकर घर पर भरपेट भोजन कराना चाहिए. भोजन उपरांत उनके हाथ धोकर उनका तेल, सिंदूर से श्रृंगार करना चाहिए और फिर कन्या को खोईछा में पैसा, फूल, मिठाई हाथों मे देना चाहिए. कुंवारी कन्या को कहे कि सारे परिवार के हाथों पर अरवा चावल छिड़क दें. कन्या द्वारा चावल छिड़कने से आपके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहेगी और बरकत होगी. कुंवारी कन्याओं का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहेगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 07:35 IST
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