गाजा. गाजा में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के हमले के शुरू होने का करीब एक साल हो गया है. हमास और अन्य फिलिस्तीनी समूहों की हथियार बंद शाखा कस्साम ब्रिगेड के लड़ाकों द्वारा किए गए हमले के जवाब में, 7 अक्टूबर को गाजा पर इजरायल का हमला शुरू हुआ. हमले के दौरान लगभग 1,140 लोग मारे गए और लगभग 240 को बंधक बनाकर गाजा ले जाया गया. इसके जवाब में, इजरायल ने एक भयंकर बमबारी शुरू की और 2007 से गाजा में पहले से ही चल रही घेराबंदी को और कड़ा कर दिया. पिछले एक साल में, इजरायली हमलों में गाजा में रहने वाले कम से कम 41,615 फिलिस्तीनी मारे गए हैं.
इस तरह देखा जाए तो इजरायल ने अपने एक नागरिक की मौत के बदले 36 फिलिस्तीनी लोगों को मार डाला है. इनमें से 10 हजार लोग तो मलबों में ही दफन हो गए. गाजा में मारे गए लोगों की संख्या वहां रहने वाले हर 55 लोगों में से 1 के बराबर है. इजरायल के इन हमलों में कम से कम 16,756 बच्चे मारे गए हैं. जो पिछले दो दशकों में संघर्ष के एक साल में दर्ज किए गए बच्चों की सबसे अधिक संख्या है. 17,000 से अधिक बच्चों ने एक या दोनों माता-पिता को खो दिया है.
97,303 घायल
वैश्विक निंदा और अंतरराष्ट्रीय संगठनों तथा अधिकार समूहों की दलीलों के बावजूद, इजरायल ने अंधाधुंध बमबारी का अभियान जारी रखा है. जिसने गाजा में लोगों के बीच आतंक फैलाया है और कई परिवारों की तो कई पीढ़ियों के मार डाला है. गाजा में कम से कम 97,303 लोग घायल हैं- जो 23 लोगों में से एक के बराबर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, घायलों में से लगभग एक चौथाई, जिनकी संख्या करीब 22,500 है, जीवन को बदलने वाली चोटों से पीड़ित हैं. जिन्हें पुनर्वास की जरूरतों के साथ पूरा नहीं किया जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल की चल रही घेराबंदी के कारण हर दिन 10 बच्चे एक या दोनों पैर खो देते हैं.
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मलबे के नीचे 10,000 लोग दबे
एक रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए और घायल हुए लोगों के अलावा, मलबे के नीचे 10,000 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है. मलबे को हटाने और कंक्रीट के नीचे फंसे लोगों को बचाने के लिए बहुत कम उपकरण होने के कारण, वालंटियर और नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ता अपने नंगे हाथों पर निर्भर हैं. अनुमान है कि गाजा पर 75,000 टन विस्फोटक गिराए गए हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 42 मिलियन टन से अधिक मलबे को साफ करने में कई साल लग सकते हैं. जिसमें बिना फटे बम भी भरे हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 21:35 IST