नई दिल्ली:
Israel Hamas War: इजरायल ने हमास पर लगातार हमला जारी रखा है. यह हमला गाज़ा इलाके पर जारी है और पूरे इलाके को इजरायल पिछले एक साल में मलबे में बदल चुका है. अब तक गाज़ा में इजरायल के हमले में 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा बहुत ज्यादा भी हो सकता है. इतनी आम लोगों की मौतें जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं और इतनी तबाही के बाद भी हमास ने इजरायल के सामने हथियार नहीं डाले हैं. वहीं, इजरायल भी हमले में कोई कमी नहीं कर रहा है और आईडीएफ के सैनिक लगातार हमास के इलाकों पर कार्रवाई करते जा रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल 7 अक्तूबर को हमास ने इजरायल पर 5000 रॉकेटों से एक हमला किया था. साथ ही हमास के लड़ाकों ने एक साथ अलग-अलग माध्यम से घुसकर इजरायल के सीमाई इलाकों में लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग करके कई लोगों की हत्या कर दी थी. हमास के इस हमले में 1200 लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही हमास के लड़ाके अपने साथ 295 इजरायली लोगों को बंधक के रूप में ले गए थे.
कब होगी बंधकों की रिहाई
हमास के हमलों के बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई जारी है और सारा दारोमदार बंधकों की रिहाई पर टिका है. इजरायल बंधकों की रिहाई के लिए हमास पर दबाव बनाए हुए है वहीं, हमास पर कोई असर नहीं दिख रहा है. लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों की मौत के बाद भी हमास झुकने के तैयार नहीं है. ऐसे में दोनों के बीच कहां पेंच फंसा यह देखना जरूरी है.
हमास ने क्यों किया था हमला
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि पिछले साल किए हमले के पीछे कौन-कौन से अहम कारण थे. हमास का हमले के लिए क्या तर्क था. पहला, हमास के एक प्रवक्ता ने कहा था कि उसकी मांग है कि वह इजरायल पर अपने दावे वाले इलाकों की घेराबंदी हटाने का दबाव बनाए. इसमें वेस्ट बैंक और येरूशेलम का इलाका शामिल है.
दूसरा, अरब-इजरायल के रिश्तों का सामान्यीकरण में तेजी से हो रहा था. इसमें सउदी से इजरायल के रिश्तों में सुधार एक कारण था. इसके कारण हमास नेतृत्व को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हाल के वर्षों में, इस प्रक्रिया ने अरब नेताओं के लिए फिलिस्तीनी मुद्दे के महत्व को और कम कर दिया है, जो इस मामले पर इज़राइल पर दबाव डालने के लिए कम उत्सुक हो गए थे. कुछ देशों के साथ इजरायल ने पिछले कुछ सालों में समझौते कर लिए हैं. अब हमास पर लगातार हमलों के बीच कई अरब देश इजरायल पर हमलों को कम करने और आम नागरिकों की मौत कम करने की बात करने लगे हैं.
इधर, तीसरा कारण जो सबसे अहम बना उसमें ईरान से हमास को पूरा समर्थन मिलना भी शामिल था. कहा जाता है कि ईरान के साथ अपने संबंधों को सुधारने में कामयाब होने के बाद हमास का हौसला काफी बढ़ गया था.
इजरायल की शर्त और इनाम की घोषणा
अब जब इजरायल इतनी तबाही कर चुका है और अब हमास के लड़ाके पूरी तरह से पस्त हो चुके हैं, ऐसे में इजरायल ने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू जो अपने देश में राजनीतिक तौर पर और सेना भी विरोध झेल रहे हैं, ने हमास के सामने शर्त भी रखी है और ऑफर भी दिया है. नेतन्याहू ने कहा है कि हमास के लड़ाके सुरक्षित अपने परिवार के साथ बाहर जा सकते हैं. इसके लिए उन्हें हथियार डालना होगा. साथ ही यदि उनके पास इजरायली बंधक हैं तो उनकी रिहाई के लिए इजरायल बड़ी कीमत चुकाने को तैयार है. इजरायल ने कहा कि वह एक बंधक के बदले हमास के लड़ाकों को 50 लाख डॉलर देने को तैयार है.
हार मानने को और झुकने को तैयार नहीं हमास
इजरायल के इस ऑफर के बाद हमास की ओर से जो संदेश आया है उससे साफ है कि वह अभी भी झुकने को तैयार नहीं है. हमास के कार्यवाहक गाजा प्रमुख खलील अल-हया ने कहा है कि जब तक फिलिस्तीनी क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हो जाता, तब तक इजरायल के साथ बंधकों के बदले कैदियों की अदला-बदली का कोई समझौता नहीं होगा. हया ने समूह के अल-अक्सा टेलीविजन चैनल को कहा कि युद्ध को समाप्त किए बिना, कैदियों की अदला-बदली नहीं हो सकती है. उन्होंने युद्ध को समाप्त करने के तरीके पर समूह की स्थिति को दोहराया. यदि आक्रामकता समाप्त नहीं हुई है, तो प्रतिरोध और विशेष रूप से हमास, कैदियों (बंधकों) को वापस क्यों करेगा? हमास का कहना है कि युद्ध जारी रहने के दौरान एक समझदार या पागल व्यक्ति अपना मजबूत कार्ड कैसे खो देगा?
बातचीत क्यों रुकी
गौरतलब है कि गाजा के लिए संघर्ष विराम पर बातचीत के प्रयास रुक गए हैं, और अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बिना शर्त स्थायी युद्धविराम के प्रस्ताव को वीटो कर दिया. अमेरिका ने कहा कि हम केवल उस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे जो स्पष्ट रूप से युद्धविराम के हिस्से के रूप में इजरायली बंधकों की तत्काल रिहाई का आह्वान करता है.
अब हमास बातचीत न होने के लिए इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को जिम्मेदार बताया है वहीं, नेतन्याहू रुकी हुई वार्ता के लिए इस्लामी समूह हमास को जिम्मेदार बताते रहे हैं. इस बीच इजरायल और हमास कुछ देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत में लगे हैं ताकि कोई हल का रास्ता निकल सके.
इजरायल की इच्छा
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को नेतन्याहू ने गाज़ा का दौरा किया था और साफ कहा था कि युद्ध समाप्त होने के बाद हमास फिलिस्तीनी क्षेत्र पर शासन नहीं करेगा और इज़राइल ने इस्लामी समूह की सैन्य क्षमताओं को नष्ट कर दिया है. याद दिला दें कि नेतन्याहू ने कसम खाई कि युद्ध केवल हमास के खत्म होने के बाद ही समाप्त हो सकता है. इजरायल को उम्मीद है कि बंधकों की सुरक्षित रिहाई अभी भी संभव है.
हमास की मांग
उधर, हमास एक ऐसा समझौता चाहता है जो युद्ध को समाप्त कर दे और गाजा में बंदी बनाए गए इजरायली और विदेशी बंधकों के साथ-साथ इजरायल द्वारा जेल में बंद फिलिस्तीनियों की रिहाई सुनिश्चित करे. साथ ही दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्ति के प्रयास में लगे कतर ने अपने प्रयास बंद कर दिए हैं क्यों उसे लगने लगा है कि दोनों ओर से युद्ध समाप्ति के लिए गंभीरता की कमी है.