सोलापुर: सर्दियों के मौसम में आमतौर पर किसान ज्वार, चना, तूर जैसी फसलें बोते हैं. सर्दी, ओस और कोहरे के कारण फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस समय तापमान बहुत कम होता है. इसलिए किसानों को सर्दियों के दौरान फसलों की देखभाल के लिए सतर्क और सक्रिय रहना जरूरी है. सोलापुर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख लालासाहेब तंबडे ने बताया कि किस प्रकार किसान अपनी फसलों की सुरक्षा और वृद्धि के लिए सही कदम उठा सकते हैं.
रबी मौसम की शुरुआत
रबी का मौसम शुरू हो चुका है और इस दौरान किसानों ने ज्वार और चना की फसलें बोई हैं. इसके साथ ही पिछले सीजन की तूरी फसल भी खेतों में खड़ी हुई है. पिछले कुछ दिनों से मौसम में बदलाव देखने को मिला है, आसमान में बादल हैं और कहीं-कहीं बारिश भी हुई है. इस प्रकार के मौसम में जहां ज्वार बोई गई है, वहां बारिश कम या न के बराबर है, और अगर नमी भी कम है, तो फसल की नमी को बनाए रखने के लिए ज्वार की फसल को घास की छान से ढकना जरूरी है.
चना फसल की देखभाल
वहीं, चना फसल की बुवाई को पंद्रह दिन और कहीं-कहीं एक महीना हो चुका है. इस स्थिति में आमतौर पर तीन प्रकार के झटके देखे जाते हैं. ऐसे में खेत में ‘कोलपा’ विधि का उपयोग करना चाहिए, जिसमें पानी देने का उचित तरीका सुनिश्चित किया जाता है. यह चना फसल को सहारा देने के लिए मददगार साबित होगा.
तूरी की फसल पर ध्यान दें
सोलापुर जिले में तूरी फसल का बोआव बड़ा है. कुछ स्थानों पर तूरी के फलों में भराई का काम चल रहा है, जबकि कुछ स्थानों पर तूरी फूलने की अवस्था में है. जहां तूरी फूलने की अवस्था में है, वहां प्रति हेक्टेयर पांच कमगंद जाल लगाने चाहिए. इससे गात कीड़ों की संख्या का पता चलता है, जिसके आधार पर छिड़काव की योजना तैयार की जा सकती है.
किसानों की मेहनत का मिलेगा लाभ
इस प्रकार, यदि किसान सर्दियों के मौसम में अपनी फसलों की सही देखभाल करते हैं, तो सोलापुर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख लालासाहेब तंबडे का कहना है कि इन तीन प्रमुख फसलों से किसानों को बेहतर आय प्राप्त हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 17:52 IST