फर्रुखाबाद में करेले की खेती.
फर्रुखाबाद: हर कोई खेती के जरिए कमाई करना चाहता है, लेकिन सही जानकारी न होने के कारण वह सब्जियों की फसलों से अच्छी उपज नहीं निकाल पाते है. ऐसे में आपके लिए यह खास है जानकारी. आप भी इस समय तगड़ी नगदी आमदनी वाली फसलों की खेती करने को सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए खास है.
जानें किस माह करें खेती
इस समय करेले की खेती से किसानों को होगी लाखों की आमदनी तो दूसरी ओर जून और जुलाई में इस करेले की फसल से अच्छी पैदावार भी की जा सकती है. ऐसे समय पर फर्रुखाबाद की जलवायु के लिए 5 तरह के करेले की खेती हो सकती है. करेले की फसल लगाने का साल में 2 उत्तम समय है. फरवरी से मार्च और जून से जुलाई सबसे बढ़िया समय है.
फर्रुखाबाद के विष्णु ने लोकल 18 से बताया कि वह पिछले 15 सालों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. इस समय पर वह अपने खेतों में करेले की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने इस फसल की बुवाई मार्च महीने में की थी, लेकिन अब करेले की फसल मई में लगातार यह फसल बंपर उत्पादन दे रही है.
30 रुपए में होगी 2 लाख की आमदनी
इस समय पर वह बताते हैं कि इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर 30 रुपए की लागत आती है, लेकिन जब यह बिक्री होती है, तो हाथों-हाथ जमकर बिकते के साथ ही दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. ऐसे समय पर अगर बाजार में इसकी तगड़ी डिमांड और अच्छे रेट पर बिकता रहे, तो यह 2 से ढाई लाख रुपए तक की प्रति बीघा कमाई कर देता है.
जानें करेले की खेती का तरीका
किसान बताते हैं कि इसकी फसल करने के लिए सबसे पहले जमीन की रोटावेटर या कल्टीवेटर से अच्छी तरीके से जुताई करके खरपतवार हटाई जाती है. इसके बाद आप इस फसल को बरसात के मौसम में भी कर सकते हैं. इस समय आप खराब गोबर को जैविक खाद की तरह प्रयोग कर सकते हैं.
वहीं, उन्नत सील करेले के बीजों को बोना फायदेमंद होता है. इस फसल को हम मचान विधि और खुले मैदान में जमीन पर भी फैलाकर फसल प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, यह किश्में मुख्य रूप से कल्याणपुर बारहमासी, काशी हरित, सफेद काशी उर्वशी, सोलन पूसा 2 जैसी किस्म लाभकारी हैं.
रोगों की समय से ऐसे करें पहचान
करेले की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इसमें बैक्टीरिया लगने की वजह से इसके पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाला जैसा दिखाई देने लगता है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में समानता इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगते हैं.
ऐसे समय पर किसान इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें. जिससे 3 सप्ताह तक करेले की बेल सुरक्षित रहती है. वहीं, समय से नमी के अनुसार हर तीसरे दिन सिंचाई भी कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 12:41 IST