कोडरमा. दलहन फसल में चने का महत्वपूर्ण स्थान है. इसकी खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद होता है. चने की मांग सालभर बाजार में बनी रहती है. चने की बुआई से लेकर फसल तैयार होने तक किसान यदि कृषि वैज्ञानिक की सलाह का पालन करें तो उन्हें काफी बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकता है.
लाइन से करें बुआई, बेहतर होगा उत्पादन
कोडरमा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार ने Local18 से विशेष बातचीत में बताया कि धान की फसल कटाई के बाद खाली पड़े खेत में भी किसान चने की खेती कर सकते हैं. चने की खेती के लिए मिट्टी में हल्का नमी होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि कोडरमा में किसान छिड़कवा विधि से चने की खेती करते हैं. इसमें अधिक बीज की आवश्यकता होती है. किसानों को वैज्ञानिक पद्धति के तहत लाइन से चने की बुआई करनी चाहिए. इसमें कम बीज लगता है और उत्पादन भी काफी बेहतर होता है.
बुआई के समय खाद का करें इस्तेमाल
डॉ. अजय कुमार ने बताया कि लाइन से चने की बुवाई करने से पौधों को संपूर्ण पोषण मिलता है. जिससे पौधे का विकास बेहतर होता है और पौधे में कई डालियां निकलती है. डाली में फूल लगने के बाद चना तैयार होता है. उन्होंने बताया कि चने की बुआई के समय खेत में रासायनिक खाद यूरिया और डीएपी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. एक हेक्टेयर भूमि के लिए 15 से 20 किलो खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि चने की बुआई के बाद 30 से 35 दिनों के उपरांत खेत की हल्की सिंचाई करनी चाहिए. पौधों को अधिक पानी देने से पौधे पीले पड़ सकते हैं और फसल के उत्पाद को नुकसान भी हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 12:16 IST