बुरहानपुर: आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के ठील्लारी समाज की महिलाओं ने एक अनोखी मिसाल पेश की है. इस समाज की महिलाएं न केवल दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाती हैं, बल्कि पारंपरिक बैलगाड़ी चलाने में भी निपुण हैं. यहां 10 साल की उम्र से ही बच्चियों और महिलाओं को बैलगाड़ी चलाना सिखा दिया जाता है.
भोलाना क्षेत्र में रहने वाले समाज के तानु ने लोकल 18 से कहा कि हमारा ठील्लारी समाज भ्रमण करता रहता है. हम 10 वर्ष की उम्र में ही बच्ची हो महिलाओं या बच्चा हो पुरुष हो उनको बैलगाड़ी चलाना सिखा देते हैं. वह बैलगाड़ी चलाना सीख जाता है. हमारा काम आसान हो जाता है. हम पुरुष लोग पशुओं को संभालने में लगे रहते हैं. महिलाएं बैलगाड़ी चलाकर हमारा सफर पूरा करवा देती है. इसलिए बच्ची हो या महिलाएं सभी को बैलगाड़ी चलाना आता है. हम टू व्हीलर और फोर व्हीलर नहीं चलाना सीखते लेकिन बैलगाड़ी जरूर चलाना सिखा देते हैं.
हर महिला में है बैलगाड़ी चलाने का हुनर
भोलाना गांव की सभी महिलाएं बैलगाड़ी चलाने में माहिर हैं. वे बैलगाड़ी में सामान रखकर अपने सफर को पूरा करती हैं. ठील्लारी समाज के लोग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों में भ्रमण करते रहते हैं. अपने पशुओं के लिए जहाँ भी चारा मिलता है. वहीं डेरा डाल देते हैं. इस प्रकार, ठील्लारी समाज की महिलाओं का बैलगाड़ी चलाना सिर्फ एक कौशल नहीं बल्कि उनकी जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा है, जो उन्हें आत्मनिर्भर और साहसी बनाता
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FIRST PUBLISHED :
October 26, 2024, 16:36 IST