उत्तराखंड के जंगलों में समय से पहले आई लाल बहार बनी समस्या

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Agency:News18 Uttarakhand

Last Updated:February 07, 2025, 14:13 IST

Buransh blooming Uttarakhand : बुरांश यहां का राज्य वृक्ष है जो इन दिनों मुसीबतें खड़ी कर रहा है. जिन फूलों का कभी इंतजार रहता था, वो फूल ही टेंशन बन गए हैं. इससे शोधकर्ता भी हैरान और परेशान हैं.

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उत्तराखंड

उत्तराखंड के जंगलों में समय से पहले खिला बुरांश

हाइलाइट्स

  • उत्तराखंड के जंगलों में समय से पहले बुरांश खिला.
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण बुरांश दिसंबर में खिल रहा है.
  • काफल भी समय से पहले पकने लगे हैं.

नैनीताल. उत्तराखंड के जंगलों में इन दिनों लाल बहार छाई हुई है. नैनीताल के जंगलों में बुरांश खिल चुका है. आमतौर पर बुरांश के खिलने का समय फरवरी से लेकर मार्च के महीने तक होता है लेकिन मौसम के परिवर्तन के कारण इन दिनों नैनीताल जिले के गागर, रामगढ़, दाड़ीमा, ओखलकांडा के जंगलों में बुरांश देखने को मिल रहा है. इन जगहों में जंगलों में कहीं-कहीं काफल भी पकने लगे हैं, जिस वजह से शोधकर्ता भी हैरान हैं.

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. डॉ. ललित तिवारी ने बताया कि बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, जो 1800 मीटर से ऊपर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है. बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम है. बुरांश के खिलने का समय फरवरी से मार्च महीने तक होता है, लेकिन पिछले 15 सालों से बुरांश दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही खिल रहा है.

पहाड़ी फल काफल भी समय से पहले पक चुका है जो पर्यावरण संरक्षण और बुरांश के जीवन चक्र के लिहाज से चिंता का विषय है. प्रो. ललित तिवारी कहते हैं कि प्रकृति में बुरांश की 1200 प्रजातियां मिलती हैं. लेकिन भारत के हिमालय के इलाकों में इसकी कुल 87 प्रजातियां पाई जाती हैं. उत्तराखंड में बुरांश की छह प्रजातियां मिलती हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

प्रो. तिवारी बताते हैं कि फरवरी-मार्च में खिलने वाला बुरांश ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तराखंड के जंगलों में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही खिल रहा है. नैनीताल के आसपास के जंगलों में तो ये पिछले साल जून में ही खिल गया था. प्रकाश का ज्यादा होना तथा फाइटोक्रोम की क्रिया भी बुरांश के खिलने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है. फूल खिलना बुरांश के जीवन चक्र का महत्त्वपूर्ण प्रवाह है. प्रकाश से फोटो रिसेप्टर और मेरिस्टम को एक्टिवेशन मिलता है, फ्लोरिजन और नाइट्रोजन व फॉस्फोरस भी इसे प्रभावित करते हैं. ये ऊर्जा चक्र को भी प्रभावित करते हैं.

Location :

Nainital,Uttarakhand

First Published :

February 07, 2025, 14:13 IST

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