उत्तराखंड में भू-कानून की मांग...आंदोलन में शामिल हुआ 50 साल का 'दूल्हा',

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सविंधान

सविंधान दिवस पर भू कानून और मूल निवास के कानून की मांग को लेकर भूख हड़ताल

देहरादून. आज देश में संविधान दिवस मनाया जा रहा है. इस संविधान दिवस पर कुछ युवा देहरादून के शहीद स्मारक पर भूख हड़ताल शुरू कर रहें हैं. ये युवा प्रदेश को भू-माफियाओं से बचाने की मांग कर रहें हैं. ये युवा हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में सशक्त भूमि कानून लाने की मांग कर रहें हैं. पुलिस द्वारा शहीद स्मारक के मुख्य गेट पर ताला लगाने के बाद युवकों ने शहीद स्मारक के मुख्य द्वार के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी है. गौरतलब है कि मूल निवास और भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आज से अपनी मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर भूख हड़ताल का ऐलान किया था.

संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने लोकल 18 से कहा है कि हिमालयीय आयुर्वेदिक योग और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान को मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए ऋषिकेश के ग्राम फतेहपुर की करोड़ों रुपए की करीब 20 हेक्टेयर भूमि मुफ़्त दी गई थी जबकि भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 132 में स्पष्ट प्रावधान है कि चारागाह, बंजर, नदी और सार्वजनिक उपयोग की भूमि को व्यावसायिक हित के लिए पट्टे या लीज पर नहीं दिया जा सकता. वहीं दूसरे राज्यों के लोगों ने उत्तराखंड की भूमि खरीदकर पहाड़ों में कंक्रीट के जंगल बना दिये हैं जिसका परिणाम हमें भुगतना होगा.

बाहरी लोगों को बसाने की साजिश
वहीं समिति के सह संयोजक प्रांजल नौडियाल ने कहा कि सरकार रातों-रात अध्यादेश लाकर मनमाने तरीके से बाहरी लोगों को बसाने की साजिश कर रही है. लेकिन पुलिस ने शहीद स्मारक के मुख्य गेट पर ताला लगा दिया . शहीद स्मारक उत्तराखंड में मंदिर से कम नहीं है और मंदिर में कभी ताला नहीं जड़ा जाता है. इस मंदिर पर सरकार ने ऐसा किया जो बहुत ही शर्मनाक है.

उत्तराखंड बचाने के लिए आंदोलन
वहीं समिति के सहसंयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि जो पहाड़ उत्तराखंड की पहचान हुआ करते थे उन्हें बेचकर वहां निर्माण हो रहा है. इसका असर जलवायु पर पड़ रहा पर है. ग्लेशियर पिघल रहें हैं, यह न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि विश्व भर के लिए चिंता की बात है. देवभूमि युवा संगठन के अध्यक्ष आशीष नौटियाल ने कहा कि हम लगातार भू कानून और मूल निवास के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं  लेकिन सरकार न युवाओं के लिए कुछ कर रही है और न ही प्रदेश के लिए. हमारे बुजुर्ग पहले राज्य बनाने के लिए आंदोलन करते रहे और हमें उसे बचाने के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है.

आंदोलन में क्यों पहुंचा दूल्हा?
इस आंदोलन में एक दूल्हा भी पहुंचा. दरअसल, यह कोई दूल्हा कोई और नहीं बल्कि 50 साल के आर्मी से रिटायर सुरेश पयाल हैं. वह जनांदोलन में अलग-अलग गेटअप में पहुंचते हैं. उनका कहना है कि उत्तराखंड का बेरोजगार युवा सड़कों पर है और भू-कानून को लेकर मांग कर रहे हैं आज पहाड़ के युवाओं की शादी नहीं हो रही हैं क्योंकि लड़की वाले लड़के की सरकारी नौकरी और जमीन चाहते हैं.  पयाल का कहना है कि 50 साल पुराना उत्तराखंड अब नहीं रहा. अगर प्रदेशवासियों को पहले जैसा उत्तराखंड चाहिए, तो सबको मिलकर उत्तराखंड में मजबूत भू कानून लागू किए जाने की मांग उठानी चाहिए.

Tags: Dehradun news, Local18, Uttarakhand news

FIRST PUBLISHED :

November 26, 2024, 19:27 IST

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