नग्गर कैसल
Kullu Historical Places: नग्गर कैसल, कुल्लू की शाही धरोहर, 1460 वर्षों तक राजाओं की राजधानी और अंग्रेजों की शासनिक केंद ...अधिक पढ़ें
- News18 Himachal Pradesh
- Last Updated : November 20, 2024, 23:58 IST
कुल्लू. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक ऐसी इमारत मौजूद है. जिसका इतिहास न सिर्फ यहां के राजाओं से बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के शासन में भी विशेष रहा है. कुल्लू के नग्गर घाटी में मौजूद इस शाही किले को नग्गर कैसल के नाम से जाना जाता है. इस किले को घर बनाने की पहाड़ी शैली काठकुनी में बनाया गया है.
राजाओं के बाद अंग्रेजों की भी राजधानी रही है नग्गर
कुल्लू के प्रसिद्ध इतिहासकार सूरत ठाकुर ने बताया कि नग्गर ने बने इस किले को बनाने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. इस किले को बनाने में इस्तेमाल हुए पत्थरों को नदी पार कर सामने स्थित बड़ाग्रां के इलाके से मानव श्रृंखला द्वारा हाथों हाथ लाया गया है. नग्गर न सिर्फ राजाओं की राजधानी रहा है बल्कि अंग्रेजी हुकूमत भी इस क्षेत्र को अपनी राजधानी के तौर पर इस्तेमाल करती थी. और इसी कैसल के किले से सारा शासन चलाया जाता था.
नग्गर कैसल का इतिहास
नग्गर, 1460 वर्षों तक कुल्लू प्रांत के राजाओं की राजधानी रहा. यह स्थान न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यहां कई अद्भुत जगहें भी देखने को मिलती हैं. लोककथाओं के अनुसार, सोलहवीं शताब्दी में इसका निर्माण राजा सिद्ध सिंह ने किया था. तब व्यास नदी के दूसरी ओर स्थित राजा भोसल के महल के खंडहरों से महिलाओं और पुरुषों की मानव श्रृंखला बनाकर सामग्री लाई गई थी. इस महल को लकड़ी और पत्थर से काष्ठकुणी शैली में बनाया गया है, और इसमें एक भी लोहे या धातु की कील का उपयोग नहीं किया गया. यह महल कभी राजाओं का शाही महल हुआ करता था, लेकिन राजा जगत सिंह ने जब अपनी राजधानी सुल्तानपुर में स्थापित की, तब इसे ग्रीष्मकालीन महल के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. इस महल के कई हकदार रहे, और इसके साथ जुड़ी हर कहानी अनोखी है.
एक बंदूक के लिए बिक गया पूरा महल
कुल्लू के राजा इस महल को वर्षों तक अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में इस्तेमाल करते रहे, लेकिन 1846 ईस्वी में, जब अंग्रेजों ने कुल्लू और कांगड़ा पर अधिकार कर लिया, तब राजा ज्ञान सिंह ने महज एक बंदूक के बदले इसे प्रथम सहायक आयुक्त मेजर ‘हे’ को दे दिया. बाद में मेजर ‘हे’ ने इसे सरकार को बेच दिया, और इसका उपयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होने लगा. आजादी के बाद इस महल को आम लोगों के लिए खोल दिया गया.
यहां रखे गए थे राजाओं के बरसेले
इतिहासकार डॉ सूरत ठाकुर बताते है कि नग्गर के कैसेल में यहां राज करने वाले सभी राजपरिवार के सदस्यों के बरसेले थे. यानि कि पत्थर में उनकी आकृतियां बना कर उन पर उन राजाओं के नाम और कब से कब तक उनका शासन रहा उसकी सारी जानकारी उनके मरणोपरांत पत्थर पर कुरेद कर यही कैसल में रखी जाती थी. हालांकि अब इन बरसेलों को कैसल से उठा कर आर्ट गैलरी में सुरक्षित रखा गया है.
यहां कैसल में मौजूद है सबसे पवित्र हिस्सा
कैसल के ही एक कोन में जगती पट का मंदिर भी मौजूद है, जिसे कुल्लू की इतिहास में सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. यहां एक बड़ी शिला मौजूद है, जिसे देवी देवताओं की संसद माना जाता है. इतिहासिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार अंग्रेज हुकूमत के एक व्यक्ति ने इस स्थान को अपमानित करके इस पर पांव रख दिया था. जिसके बाद इस शिला का एक किनारा टूट गया और उस अंग्रेज की मृत्यु हो गई.
भूकंप भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया
इस महल का निर्माण लकड़ी और पत्थर से काष्ठकुणी शैली में इस प्रकार किया गया है कि यह भयंकर भूकंप के झटके भी सहन कर सके. 1905 में आए विनाशकारी भूकंप से जहां आसपास के इलाकों में भारी नुकसान हुआ, वहीं यह महल उस भूकंप से भी सुरक्षित रहा.
राष्ट्रीय धरोहर की मान्यता
1978 नग्गर कैसल को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम को सौंपा गया, जिसके बाद इसे एक होटल के रूप में चलाया जाने लगा. आज यह स्थान प्री-वेडिंग शूट्स के लिए भी काफी लोकप्रिय है. नग्गर कैसल में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. इसे 9 अगस्त 2012 को पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 23:58 IST