मूर्ति बनाने वाले कारीगर मूलचंद अपनी पत्नी के साथ!
Bahraich: जिले के रहने वाले कारीगर मूलचंद प्रजापति पिछले 40 सालों से दीपावली के लिए गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. मूलचंद मूर्तियों को खास तरीके से और बहुत सुंदर बनाकर तैयार कर देते हैं. 12 साल पहले हाथ में दिक्कत हो जाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज भी काम करते हैं. वे एक हाथ से मूर्ति निर्मित करते हैं. दुर्भाग्यवश, कुछ दिन पहले जो दूसरा ठीक हाथ था, वह भी गिर जाने के कारण टूट गया है, जिसका इलाज अभी चल रहा है.
40 साल पहले इस तरह हुई मूर्ति बनाने की शुरुआत
जिले के रहने वाले मूलचंद प्रजापति के पिता मूर्तियां बनाने का काम किया करते थे लेकिन इस काम में मूलचंद की कोई रुचि नहीं थी. बस, वह पिता के कहने पर कभी-कभी उनके काम में हाथ बंटा लिया करते थे. लेकिन जब पिता का स्वर्गवास हुआ, तो मूलचंद ने इस जिम्मेदारी को उठा लिया और फिर मूर्तियों को बनाने में लग गए. धीरे-धीरे इन्होंने मूर्तियों को बखूबी बनाना सीख लिया. अभी ये देखते ही देखते गणेश जी, लक्ष्मी जी, दुर्गा मां, कृष्ण जी और सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर तैयार कर देते हैं.
घटना में खराब हो गया एक हाथ!
मूलचंद ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि लगभग 12 साल पहले हाथ में इन्फेक्शन की वजह से एक हाथ खराब हो गया था. इसके बाद इन्होंने एक ही हाथ से मूर्तियों को बनाना और रंगना शुरू कर दिया. शुरुआत में तो काफी दिक्कतें हुईं, लेकिन अब ये एक हाथ से सारे काम कर लेते हैं. उन्होंने अपने घर के परिवार को भी इस काम को सिखा रखा है. सब लोग मिलकर 6-7 महीने मूर्ति बनाने का काम करते हैं और जब दीपावली आती है, तो इसे सेल करते हैं. इन्हीं पैसों से घर का खर्चा और सारी ज़रूरतें पूरी होती हैं.
कैसे बनती है मूर्ति
मूलचंद ने बताया कि गणेश जी, लक्ष्मी जी और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए एक विशेष प्रकार का सांचा बनाते हैं. जिसमें दो-तीन तरह की काली और पीली मिट्टी को सांचे में रखकर आकार देते हैं. फिर इसे पकाया जाता है और अंत में अंतिम रूप दिया जाता है, जिसमें रंग का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि मूर्तियां छोटी-बड़ी हर आकार की होती हैं, इसलिए इन्हें बारीक पतले ब्रश से रंगा जाता है. इसमें बहुत मेहनत और समय लगता है.
मूलचंद का घर ही कारखाना
मूलचंद ने बताया कि इनका कोई अलग से कारखाना नहीं है. वे घर पर ही परिवार के साथ मिलकर मूर्तियां बनाने का काम करते हैं. इनका घर बहराइच शहर के मोहल्ला हम्जापुरा, निकट रविदास मंदिर के पास है. वे सालों से ये काम कर रहे हैं और अपने इस काम के माध्यम से ही पहचाने जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 11:37 IST