Agency:भाषा
Last Updated:January 23, 2025, 22:53 IST
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की उपस्थिति पर चिंता जताई, कहा कि आदेश कुछ पन्नों का होता है जबकि वकीलों के नाम कई पेज में होते हैं। कपिल सिब्बल ने उचित प्रक्रिया का प्रस्ताव दिया।
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में कीलों की उपस्थिति पर चिंता जताई.
- कपिल सिब्बल ने उचित प्रक्रिया का प्रस्ताव दिया.
- सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशानिर्देश मांगे.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस बात पर चिंता जताई कि मुकदमों में बड़ी संख्या में वकील अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं और उनके नाम कई पेज में होते हैं, जबकि आदेश केवल कुछ पन्नों का होता है. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि यदि कोई वकील अदालत की ‘प्रभावी तरीके से’ मदद कर रहा है तो उसे उपस्थिति जोड़ने में कोई समस्या नहीं है. पीठ ने कहा कि ‘वकीलों के नाम 10 पेज में होते हैं और आदेश केवल कुछ पन्नों का. हम इस बारे में कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं कि आदेश में वकीलों के नाम कैसे शामिल किए जाएं. चूंकि आप बार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसलिए हम आपकी बात सुन रहे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि, कई वकील मामले में बहस करने वाले वकील के साथ पेश हुए, लेकिन जब उनसे कहा गया तो किसी ने बहस नहीं की. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि ‘या फिर हमें साफ रूप से कहना पड़ेगा कि आपका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. वकील से जो भी जुड़ा है, उनके नाम शामिल किये जाएं. ऐसा नहीं किया जा सकता. जब हम देखेंगे कि वे प्रभावी रूप से आपकी सहायता कर रहे हैं, तो उनके नाम वहां होंगे. हम आदेश पारित करेंगे.’
‘पैरवी के लिए एक साथ 30-40 वकीलों के नाम नहीं’
सिब्बल ने कहा कि एससीबीए और ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन’ इस मुद्दे को विनियमित करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने कहा कि ‘आप सही हैं, 30-40 नाम नहीं दिए जा सकते. लेकिन कुछ उचित, निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जो वास्तविक लोग यहां हैं और उनके नाम जोड़े जाने चाहिए.’ सुप्रीम कोर्ट, बार संघों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक विशेष मामले में उपस्थित और पेश होने वाले सभी वकीलों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की अनुमति देने के लिए एक समान दिशानिर्देशों के संबंध में उनके प्रशासन को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. पिछले साल 20 सितंबर को पारित एक आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ केवल उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं, जिन्हें अदालत में उपस्थित होने और सुनवाई के दिन बहस करने के लिए अधिकृत किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में बड़ी संख्या में वकील होते हैं पेश
आदेश में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 दिसंबर 2022 को जारी नोटिस के अनुसार, केवल ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ ही वेबसाइट पर दिये गए लिंक या सुप्रीम कोर्ट के ऑफिस मोबाइल ऐप के जरिये अदालत में उपस्थित होने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि नोटिस में कहीं भी वकीलों को उन वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति नहीं दी गई है जो अदालत में उपस्थित होने या मामले पर बहस करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश उस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देते हुए आया, जिसमें एक याचिकाकर्ता ने अपील दायर करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि उसने अदालत में मौजूद किसी भी वकील को अपनी ओर से मामला दायर करने के लिए कभी नियुक्त नहीं किया था.
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New Delhi,Delhi
First Published :
January 23, 2025, 22:53 IST