अमित कुमार/समस्तीपुर: बिहार के विभिन्न जिलों, खासकर समस्तीपुर और आसपास के क्षेत्रों में गेहूं की बुवाई का कार्य तेजी से शुरू हो गया है. किसानों ने खेत तैयार करना शुरू कर दिया है और अच्छी फसल की उम्मीद में जुटे हुए हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों ने अंकुरण और बुवाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण सलाह साझा की हैं, जो किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं.
गेहूं की बुवाई के लिए अनुकूल मौसम
डॉ. संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, ने बताया कि गेहूं के बीज के अंकुरण के लिए 12 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त है.
– बहुत ठंडा या ज्यादा गर्म मौसम अंकुरण को धीमा कर सकता है.
– अंकुरण के लिए खेत की मिट्टी में उचित नमी होना आवश्यक है. अधिक नमी बीज को सड़ा सकती है, जबकि कम नमी अंकुरण में बाधा डालती है.
मिट्टी की गुणवत्ता और तैयार करने की विधि
डॉ. सिंह ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है.
– मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
– अत्यधिक खारी या अम्लीय मिट्टी से अंकुरण प्रभावित हो सकता है.
– बुवाई से पहले खेत की सिंचाई और मिट्टी का समतलकरण फसल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
गेहूं की बुवाई के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
1. बीज की गहराई:
– गेहूं के बीजों को 4 से 6 सेंटीमीटर गहराई में बोना चाहिए.
– ज्यादा गहरी या बहुत उथली बुवाई से अंकुरण में समस्या हो सकती है.
2. समय पर बुवाई:
– बुवाई का सही समय सुनिश्चित करें.
– देरी से बुवाई करने पर मौसम की बदलती परिस्थितियों का असर फसल पर पड़ सकता है.
3. बीज का चयन और उपचार:
– उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करें.
– बीज को सफेद ग्रब और दीमक जैसे कीटों से बचाने के लिए उपचारित करें.
बेहतर फसल के लिए वैज्ञानिकों का सुझाव
डॉ. सिंह के अनुसार, बुवाई के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं का पालन करने से पैदावार में सुधार होगा:
– खेत में नमी की उचित मात्रा बनाए रखें.
– बुवाई से पहले मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करें.
– खेत में कीट और रोगों की रोकथाम के लिए उचित उपाय अपनाएं.
किसानों के लिए यह खास अवसर
गेहूं की खेती समस्तीपुर और अन्य जिलों के किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. वैज्ञानिकों की सलाह का पालन कर किसान उत्तम गुणवत्ता की फसल उगा सकते हैं और बाजार में बेहतर कीमत प्राप्त कर सकते हैं. किसान कृषि विश्वविद्यालयों या निकटतम कृषि कार्यालयों से परामर्श लेकर अपनी फसल की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 21:21 IST