औरंगजेब भी था जीण माता का भक्त, पढ़िए चमत्कार से जुड़ी अनोखी कहानी

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मुस्लिम परिवार आज भी मंदिर में करता है माता की सेवा

राहुल मनोहर/ सीकर: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा और आराधना का विशेष महत्व होता है. इस पर्व पर माता रानी की घट स्थापना कर नौ दिन तक पूजा-अर्चना की जाती है. सीकर जिले में स्थित जीण माता के मंदिर से जुड़ी एक अनोखी जनश्रुति है, जिसके अनुसार मुगल बादशाह औरंगजेब भी मां दुर्गा के चमत्कार से प्रभावित होकर उनका भक्त बन गया था. इस घटना के प्रमाण आज भी जीण माता मंदिर में मौजूद हैं.

औरंगजेब को मिला कुष्ठ रोग से छुटकारा
लोक मान्यताओं के अनुसार, औरंगजेब को एक समय कुष्ठ रोग हो गया था. इससे परेशान होकर उसने मां जीण से प्रार्थना की और मन्नत मांगी कि अगर उसका रोग ठीक हो गया तो वह जीण माता के मंदिर में चांदी का छत्र चढ़ाएगा. कुछ दिनों के बाद, उसका कुष्ठ रोग पूरी तरह ठीक हो गया. इस चमत्कार से प्रभावित होकर, औरंगजेब ने जीण माता के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की और मंदिर में चांदी का छत्र चढ़ाया. यह चांदी का छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है और श्रद्धालुओं के बीच आस्था का प्रतीक बना हुआ है.

मुस्लिम परिवार आज भी करता है मंदिर की सेवा
औरंगजेब ने न सिर्फ चांदी का छत्र चढ़ाया, बल्कि मंदिर की सेवा के लिए एक मुस्लिम परिवार को भी वहीं छोड़ दिया. इस परिवार के वंशज आज भी मंदिर की सीढ़ियों की सफाई और देखरेख का काम करते हैं. नवरात्रि के दौरान औरंगजेब के भेजे इस परिवार के वंशज मंदिर में सेवा का कार्य करते हैं. इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय के कई लोग आज भी शादी के बाद जीण माता के दरबार में आशीर्वाद लेने आते हैं, जिससे यह धार्मिक सौहार्द का अनूठा उदाहरण बनता है.

अखंड ज्योत के लिए जारी है तेल भेजने की परंपरा
मंदिर के पुजारी प्रकाश पराशर के अनुसार, औरंगजेब के समय से ही जीण माता की अखंड ज्योत के लिए दिल्ली दरबार से तेल भेजा जाता था. बाद में जयपुर राजघराने ने यह परंपरा जारी रखी. आजादी के बाद से अब तक, राज्य सरकार का देवस्थान विभाग अखंड ज्योत के लिए तेल का अनुदान देता आ रहा है. यह कहानी भारतीय संस्कृति में धार्मिक सहिष्णुता और आस्था की शक्ति का उदाहरण है, जो लोगों को सदियों से जोड़ती आ रही है.

Tags: Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 11, 2024, 17:57 IST

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