झारखंड में करवा चौथ का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, यानी पूरे दिन बिना पानी पिए रहती हैं.
झारखंड में करवा चौथ की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है.महिलाएं इस दिन नए-नए कपड़े पहनती हैं. हाथों में मेहंदी लगवाती है. इसके साथ पूरा सोहल श्रृंगार करती हैं. नए कपड़े पहनकर महिलाएं पूजा करती हैं.
महिलाएं ऐसे करती है पूजा
करवा चौथ एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे खासतौर पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं. इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं. महिलाएं भगवान गणेश, चौथ माता और चंद्र देव की पूजा करती हैं. इस पूजा में मिट्टी के करवे का विशेष महत्व होता है, जो इस व्रत का प्रतीक माना जाता है. शाम के समय महिलाएं एकत्रित होकर समूह में पूजा करती हैं, जहां करवे में जल भरकर और दीप जलाकर विधिवत पूजा की जाती है. पूजा के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करती हैं.
चांद को करती है महिलाएं अर्घ्य अर्पित
करवा चौथ के दिन पूजा के बाद महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है. विभिन्न शहरों में चांद निकलने का समय अलग-अलग होता है. चांद के दर्शन के साथ ही महिलाएं अर्घ्य अर्पित करती हैं. इस प्रक्रिया के दौरान, वे चलनी के माध्यम से पहले चांद को देखती हैं. फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं. उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं. इसके बाद ही वे अपना व्रत खोलती हैं, जो इस व्रत की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.