डिजिटल अरेस्ट
आजकल डिजिटल ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर ठग डिजिटल ठगी के जरिए आसानी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. देशभर में कई लोग इसका शिकार बन चुके हैं. डिजिटल ठगी से बचने के लिए साइबर विशेषज्ञ कई सुझाव देते रहते हैं. विशेषज्ञों ने डिजिटल ठगी के जरिए लोगों को ठगने के तरीके, सजा के प्रावधानों और इससे कैसे बचा जाए, इसके बारे में कुछ सुझाव दिए हैं.
डिजिटल ठगी क्या है?
डिजिटल ठगी में किसी व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के द्वारा गिरफ्तार हो गया है, उसे दंड या जुर्माना देना होगा. डिजिटल ठगी एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है. लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसका उदय हुआ है. कई ऐसे मामले भी आते हैं जिसमें ठगी करने की कोशिश करने वाले सफल नहीं हो पाते हैं. डिजिटल ठगी के संगठित गिरोह का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है, जिसकी वजह से डिजिटल ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
डिजिटल ठगी में लोगों को कैसे फंसाया जाता है?
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा हितेश लखनपाल ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि इसमें आपको फंसाने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं जैसे कूरियर का नाम लेकर कहना कि इसमें गलत सामान आया है. कुरियर में नशीली दवाएं हैं, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे. आपके बैंक खाते से इस तरह के लेन-देन हुए हैं जो वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित हैं. धन शोधन, एनडीपीएस का डर दिखाकर अधिकतर उन लोगों को फंसाया जाता है, जो पढ़े-लिखे और कानून के जानकार होते हैं. ऐसे लोगों को डराकर उनसे डिजिटल माध्यम से फिरौती मांगी जाती है. अगर उनके खातों में पैसे नहीं हैं तो उनको कर्ज दिलवाया जाता है. कई बार उनके पास कर्ज लेने वाले ऐप नहीं होते हैं तो उन ऐप को भी डाउनलोड कराया जाता है. कई बार दो से तीन दिन तक डिजिटल बंधक रखा जाता है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हितेश लखनपाल की अपील
डिजिटल अरेस्ट को लेकर बढ़ते केस चिंता का विषय हो गया है. कई लोग इसका शिकार हो चुके हैं और उनसे लाखों की ठगी भी हो चुकी है. हितेश लखनपाल ने लोगों से अपील की है कि जब भी इस तरह की कोई कॉल आए तो तुरंत अपने नजदीकी पुलिस थाने में इसकी जानकारी दें.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 11:54 IST