Last Updated:January 24, 2025, 16:27 IST
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाते हुए 'आप' पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिससे चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस की रणनीति 'आप' को बैकफुट पर धकेलने की है।
हाइलाइट्स
- दिल्ली चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है.
- कांग्रेस की आक्रामक रणनीति से 'आप' की चिंता बढ़ी.
- पार्टी अपना खोया वोटबैंक दोबारा हासिल करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.
नई दिल्ली. दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की तारीख नजदीक आने के साथ ही सियासी मैदान में मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच चल रही यह लड़ाई अब नए मोड़ पर पहुंच गई है. अब तक बैकफुट पर नजर आ रही कांग्रेस अचानक फ्रंटफुट पर आकर ‘आप’ के खिलाफ हमलावर हो गई है.
शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि यह मुकाबला ‘आप’ और भाजपा के बीच ही रहेगा. कांग्रेस पिछली बार की तरह निष्क्रिय नजर आ रही थी. हालांकि, जैसे ही चुनावी तारीखों का ऐलान हुआ, कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाना शुरू कर दिया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने ‘आप’ पर बड़े आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ खुलासा करने का दावा किया था. हालांकि, पिच पर आने से पहले ही उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए थे. तब दिल्ली के लोगों को समझ में आ रहा था कि कांग्रेस बीजेपी को यहां की सत्ता में आने से रोकने के लिए शायद ऐसा कर रही है. लेकिन अब कांग्रेस ने ‘आप’ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे चुनावी माहौल गरमा गया है.
इंडी गठबंधन के तमाम दलों ने फिर जिस तरह से अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दिल्ली चुनाव में समर्थन का दावा किया, उसके बाद कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई थी. ऐसे में कांग्रेस को लगने लगा था कि अगर वह अपनी जमीन दिल्ली में फिर से हासिल करने में कामयाब नहीं रही तो उसके लिए आम आदमी पार्टी दूसरे राज्यों में भी मुश्किल खड़ी कर देगी. इसके कई उदाहरण भी कांग्रेस के सामने हैं. छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात सहित कई राज्यों के चुनाव परिणामों से साफ पता चलता है कि जहां-जहां आप चुनावी जंग में शामिल हुई, वहां-वहां उसे भले सफलता हासिल नहीं हुई हो, लेकिन उसने कांग्रेस को भी सफल होने नहीं दिया. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से पंजाब भी छीन लिया.
ऐसे में कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में अपनी खोई जमीन फिर से पाने की कोशिश में जुट गई. अभी तक जो आम आदमी पार्टी गठबंधन को लेकर तमाम चुनावों में कांग्रेस के फैसले का इंतजार करती थी, उसने चुनाव की घोषणा से पहले ही स्पष्ट कर दिया कि आप इस बार बिना किसी इंतजार के अकेले अपने दम पर दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरेगी.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अब ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के बीच आम आदमी पार्टी के खिलाफ जिस तरह का तेवर अपनाया है. इसके बाद से आप के नेताओं के माथे पर पसीना आ गया है. राजनीतिक विश्लेषक ऐसा दावा क्यों कर रहे हैं इसके पीछे एक इतिहास है, जो आप के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है. ये वो वोटिंग पैटर्न है या वो वोट बैंक है, जिसने आम आदमी पार्टी की सांसें फुला दी है.
क्या ‘आप’ के लिए बढ़ रही हैं मुश्किलें?
आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत का सपना देख रही है. अब तक हुए तीनों चुनाव में उसका इकबाल बुलंद रहा, लेकिन ध्यान से जब वोट प्रतिशत पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस की हार ही उसकी (आप) जीत का बड़ा कारण बनी. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के इस हमलावर रुख से ‘आप’ की चिंता बढ़ गई है. आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि ‘आप’ की सफलता कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी के कारण हुई.
पार्टी और वोट प्रतिशत
विधानसभा चुनाव | 2013 | 2015 | 2020 |
AAP | 29.49% | 54.34% | 53.57% |
बीजेपी | 33.07% | 32.19% | 38.51% |
कांग्रेस | 24.55% | 9.65% | 4.26% |
इन आंकड़ों से साफ है कि ‘आप’ की सफलता कांग्रेस के घटते वोट प्रतिशत से जुड़ी है. बीजेपी का वोट प्रतिशत स्थिर रहा, जबकि ‘आप’ ने कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों को अपनी ओर खींचा.
कांग्रेस की रणनीति और ‘आप’ की चुनौती
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की मौजूदा रणनीति ‘आप’ को बैकफुट पर धकेलने की है. कांग्रेस ने ‘आप’ की सरकार को भ्रष्टाचार, शराब नीति और स्वास्थ्य घोटाले जैसे मुद्दों पर घेरते हुए अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में जो काम किए, वे दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की योजनाओं का ही नतीजा हैं. कांग्रेस अब दिल्ली की जनता से अपील कर रही है कि ‘पुरानी दिल्ली लौटाएं.’
कांग्रेस का ‘आप’ पर बड़ा हमला
चुनावी तारीख का ऐलान होते ही अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ एक बड़े खुलासे का दावा किया था. 22 जनवरी को अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कैग रिपोर्ट के हवाले से केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. इसके अगले दिन कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने एक कथित ऑडियो क्लिप जारी कर ‘आप’ को कटघरे में खड़ा किया. क्लिप में नरेला से आप विधायक शरद चौहान पर शराब नीति के जरिए पार्टी के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया गया. पवन खेड़ा ने कहा, ‘नई शराब नीति चुनावी फंड जुटाने के लिए बनाई गई थी.’
इससे पहले, अजय माकन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में घोटाले का मुद्दा उठाया था. कांग्रेस के इन आरोपों ने दिल्ली के चुनावी माहौल में सनसनी फैला दी है.
क्या भाजपा को मिलेगा फायदा?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर कांग्रेस ‘आप’ के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब होती है, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है. यह स्थिति ‘आप’ के लिए दोहरी चुनौती बन सकती है.
दिल्ली चुनाव अब त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ता दिख रहा है. कांग्रेस का आक्रामक रुख और ‘आप’ पर तीखे हमले इस बार के चुनाव को और दिलचस्प बना रहे हैं. क्या कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर पाएगी या ‘आप’ अपनी बढ़त कायम रखेगी? यह तो 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग और उसके बाद 8 तारीख को आने वाले नतीजों से साफ हो जाएगा. (IANS इनपुट के साथ)
Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
January 24, 2025, 16:27 IST