किराए के चोर! पहले देते हैं ट्रेनिंग, फिर शादियों में एंट्री; और माल लूटकर हो जाते हैं फरार

4 hours ago 1

नई दिल्ली:

क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह के मुताबिक 19 नवंबर, 2024 को  खुफिया जानकारी के आधार पर टीम ने शादियों में चोरी के मास्टरमाइंड के रूप में राज कुमार उर्फ ​​राजू की पहचान की. मध्य प्रदेश के राजगढ़ का रहने वाला 50 साल का राजकुमार शादियों में चोरी की योजना बना रहा था और अपराधों को अंजाम देने के लिए अपने गांव के युवा लड़कों का इस्तेमाल कर रहा था.

राज कुमार के साथ गिरोह के तीन अन्य सदस्यों-मोहित ,सुमित और करण को गिरफ्तार किया गया. ये लड़के शादियों में कीमती सामान से भरे बैग चोरी करते थे. चोरी के बाद राज कुमार चोरी के सामान को गिरोह के सदस्यों के बीच बांट देता था.

बैंड, बाजा, बारात" गिरोह

मध्य प्रदेश के राजगढ़ के कड़िया गांव के सदस्य अक्सर ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं. गिरोह और परिवारों के बीच हुए समझौते के आधार पर कुछ लोग अपने परिवार के लोगों को किराए पर भी देते हैं. फिर इन परिवारों को हाई-प्रोफाइल शादियों में शामिल होने और अनजान मेहमानों से कीमती सामान चुराने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. गिरफ्तार किए गए लोग मध्य प्रदेश के राजगढ़ के कड़िया गांव के रहने वाले हैं, जो भारत भर में शादी की चोरियों में शामिल संगठित अपराध सिंडिकेट को ट्रेंड चोरी करने वाले युवा लड़के सप्लाई करते हैं.

क्या है पूरा मामला?

12 नवंबर, 2024 की रात को, सुमित और करण ने दिल्ली के अलीपुर में दो शादी समारोहों से नकदी और कीमती सामान चुरा लिया, और 17 नवंबर, 2024 की रात को, उन्होंने दिल्ली के मैदानगढ़ी के एक फॉर्महाउस से एक शादी समारोह से नकदी और कीमती सामान से भरा बैग भी चुरा लिया.  जब वे चोरी करने के लिए समारोह में दाखिल हुए, तो राज कुमार और मोहित एक निजी टैक्सी में बाहर इंतजार कर रहे थे, नजर रख रहे थे और उन्हें मोबाइल फोन पर दिशा-निर्देश दे रहे थे. चोरी के बाद, सुमित और करण ने चोरी का सामान राज कुमार उर्फ ​​राजू को दे दिया, जिसने बाद में अपना हिस्सा बांट लिया।आरोपियों के खिलाफ चोरी के कई केस दर्ज हैं. आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र का प्रयोग कर 13 सिम कार्ड और 5 मोबाइल फोन लिए थे जो बरामद कर लिए गए हैं.

अपराधियों का स्पेशल स्कूल

भोपाल से करीब 117 किलोमीटर दूर स्थित तीन गांवों—कड़िया, गुलखेड़ी, और हुलखेड़ी—को अब पूरे देश में 'अपराधियों की नर्सरी' (Nursery of Criminals) के रूप में पहचाना जाने लगा है. ये गांव मध्यप्रदेश के राजगढ़ (Rajgarh News) जिले में स्थित हैं. आलम ये है कि यहां कि पुलिस भी इस इलाके में जाने से हिचकिचाती है. इन गांवों में बच्चों को नर्सरी की उम्र में ही चोरी,लूट और डकैती के गुर सिखाए जाते हैं. 

अपराध की शुरुआत

इन गांवों में बच्चों को 12-13 साल की उम्र में ही अपराध की शिक्षा देने के लिए भेज दिया जाता है. माता-पिता खुद सरगना से मिलकर यह तय करते हैं कि कौन उनकी संतान को बेहतर प्रशिक्षण दे सकता है. इस "शिक्षा" के लिए माता-पिता 2-3 लाख रुपये फीस चुकाते हैं. यहां बच्चों को जेब काटने, भीड़ में से बैग उठाने,तेजी से भागने, पुलिस से बचने, और पिटाई सहन करने के गुर सिखाए जाते हैं. एक साल के लिए बच्चे को गैंग में काम पर रखा जाता है और इसके बदले सरगना उसके माता-पिता को सालाना 3-5 लाख रुपये का भुगतान करता है.

इन अपराधियों के गांव में पहुंचने के पहले नदी पड़ती है. कई बार जब पुलिस यहां पहुंचती है तो एक तरफ से अपराधी फायर करते हैं तो दूसरी तरफ से पुलिस.

करोड़ों के गहने चुरा चुके है यहां के गैंग 

देशभर के कई राज्यों में इन गांवों के बच्चों द्वारा अंजाम दी गई चोरी की घटनाएं सुर्खियों में आई हैं. दिसंबर 2023 में दिल्ली के एक शादी समारोह में 22 साल के यश सिसोदिया ने गहनों से भरा बैग चुराया और फरार हो गया.यश पर देश के अलग-अलग राज्यों में 18 मामले दर्ज हैं.मार्च 2024 में गुड़गांव में एक शादी में 24 साल के रविंद्र सिसोदिया ने भी इसी तरह से गहनों का बैग उड़ाया.अगस्त 2024 में जयपुर के हयात होटल में एक डेस्टिनेशन वेडिंग के दौरान नाबालिग चोर ने 1.50 करोड़ रुपये के गहनों से भरा बैग चुरा लिया।

गांव की महिलाओं भी हैं शातिर

इन गांवों की स्थिति ऐसी है कि वहां की महिलाएं किसी भी बाहरी व्यक्ति को देखते ही खुद कम सुनने का बहाना करने लगती हैं.अगर कोई अंजान व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है, तो गांववाले तुरंत चौकन्ने हो जाते हैं और कैमरा या मोबाइल कैमरा देखते ही सतर्क हो जाते हैं और अक्सर ऐसे लोगों को विरोध का सामना करना पड़ता है. 

बच्चों को किराए पर लेते हैं, 20 लाख तक जाती है बोली

राजगढ़ जिले के पचोर तहसील की इन गांवों में अपराध की इस पाठशाला के कारण, देशभर की पुलिस इन गांवों की ओर रुख करती है.

बोड़ा थाने के इंस्पेक्टर रामकुमार भगत के अनुसार, इन गांवों में 300 से अधिक बच्चे अलग-अलग राज्यों और शहरों में शादी समारोहों में चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं. ये गैंग बड़ी शातिर तरीके से वारदात को अंजाम देते हैं, जैसे पहले रेकी करना और चकमा देने की नई तरकीबें अपनाना और फिर चोरी करना.

गांव के अमीर लोग गरीब बच्चों को 1-2 साल के लिए किराये पर भी लेते हैं, इसके लिए बोली लगाई जाती है, जो 20 लाख रुपये तक पहुंच जाती है. ट्रेनिंग के बाद जब बच्चे पांच-छह गुना कमाई करके दे देते हैं, तो उन्हें आजाद कर दिया जाता है. इन गांवों में हजारों लोग रहते हैं, और 2000 से ज्यादा लोगों पर देशभर के दर्जनों थानों में 8000 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं.

ये बच्चे कम पढ़े-लिखे और गरीब परिवारों से आते हैं, लेकिन हाई प्रोफाइल शादियों में शामिल होने के लिए इन्हें अमीर बच्चों की तरह दिखने और बोलने की ट्रेनिंग दी जाती है. जयदीप प्रसाद, एडीजी, लॉ एंड ऑर्डर, बताते हैं कि ये अपराधी इतने शातिर होते हैं कि बगैर जौहरी के गहनों की परख कर लेते हैं. इनका मुख्य पेशा बच्चों से चोरी कराना, जुआ खेलना, और शराब बेचना है. मध्यप्रदेश के ये तीन गांव आज अपराध की पाठशाला बन गए हैं, जहां से देशभर में चोरी, लूट और डकैती के लिए अपराधी तैयार होते हैं. सवाल यह उठता है कि सरकार और प्रशासन इस बढ़ते अपराध को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं. 

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article