प्रयागराज. अखिल भारतीय पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र वन अनुसंधान संस्थान प्रयागराज द्वारा वन विज्ञान केन्द्र गोरखपुर के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के कृषि वानिकी मॉडल विषय पर आधारित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 100 किसानों को वानिकी पर प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने बताया कि कृषि वानिकी के माध्यम से हरित आवरण के साथ-साथ किसानों की आजीविका में भी वृद्धि संभव है.
वहीं डॉ. सत्य प्रकाश श्रीवास्तव ने केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि वैज्ञानिक एवं कृषकों के आपसी संवाद के बाद कृषि वानिकी मॉडलों को विकसित किया जाना चाहिए. कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के प्रसार तंत्र एवं संशाधनों का उपयोग किया जा सकता है.
प्रगतिशील किसान ने चंदन की खेती का दिया टिप्स
तकनीकी सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर द्वारा पॉपलर आधारित कृषि वानिकी एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीलम खरे द्वारा चिरौंजी की खेती की सम्भावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गयी. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दूबे ने मीलिया आधारित कृषि वानिकी विषय किसानों से जानकारी साझा किया. वहीं सेना से सेवानिवृत्त प्रतापगढ़ के प्रगतिशील कृषक उत्कृष्ठ पाण्डेय ने कृषि वानिकी में चंदन की खेती विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने किसानों को बताया कि चंदन की खेती केवल दक्षिण भारत में ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी संभव है. सबसे पहले चंदन की नर्सरी को लेकर खेतों में रोपाई करें. उसके बाद वैज्ञानिकों के सलाह पर समय-समय पर इसकी देख-रेख करते रहें.
यूकेलिप्टस की खेती पर दिया गया जोर
केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने किसानों को कृषि वानिकी के अन्तर्गत यूकेलिप्टस का उपयोग कृषि योग्य भूमि पर उच्च स्तर पर करने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि केन्द्र के पास उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त यूकेलिप्टस एवं पॉपलर के क्लोन किसानों के लिए उपलब्ध है. इस दौरान प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए किसानों को यूकेलिप्टस, अमिलिया एवं चंदन के पौधों की खेती को लेकर टिप्स दिया गया. साथ ही बताया गया कि पारंपरिक कृषि आधारित फसलों से हटकर लकड़ी वाले पौधे की खेती से किसान की आजीविका में सुधार आएगा. वहीं इससे आमदनी भी बढ़ जाएगी.
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FIRST PUBLISHED :
September 28, 2024, 16:27 IST