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Last Updated:January 31, 2025, 10:03 IST
Fennel farming: उत्तर गुजरात के मेहसाणा में सौंफ की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलता है. खाद प्रबंधन पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, सही समय पर यूरिया और डीएपी का प्रयोग करने से सौंफ का उत्पादन बढ़ सकता...और पढ़ें
ीउत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले में सौंफ की खेती एक प्रमुख मसाला फसल के रूप में की जाती है. यह फसल किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है, क्योंकि इससे हर साल अच्छी आमदनी प्राप्त होती है. इस समय, सर्दियों में सौंफ की खेती की जा रही है, और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही तरीके से खाद का प्रबंधन किया जाए, तो सौंफ का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे खाद का सही समय पर और उचित मात्रा में उपयोग करें, ताकि फसल का उत्पादन अधिक हो सके.
सौंफ की खेती में खाद का सही उपयोग
मेहसाणा जिले में मसाला फसलों में विशेष रूप से सौंफ, जीरा, सुआ, धनिया और अजवाइन की खेती की जाती है. इन फसलों में खासकर सौंफ और जीरे की फसल में समय पर खाद देना अत्यंत आवश्यक है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सौंफ की बुवाई के समय से लेकर कटाई तक खाद का सही तरीके से उपयोग करने से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है. सही खाद प्रबंधन से फसल को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं, जो उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं.
कृषि विशेषज्ञ की सलाह
मेहसाणा के कृषि विज्ञान केंद्र में बागवानी विशेषज्ञ रोशनीबेन बारड ने सौंफ और जीरे की फसल के खाद प्रबंधन पर महत्वपूर्ण टिप्स दी हैं. उन्होंने बताया कि सौंफ और जीरे की फसल में शुरुआत में बेसल फर्टिलाइजर देना चाहिए. इसके बाद, टॉप ड्रेसिंग फर्टिलाइजर तब देना चाहिए जब फसल 30 दिन की हो और खरपतवार नष्ट हो चुके हों. साथ ही मिट्टी में पर्याप्त नमी भी होनी चाहिए. इसके अलावा, जैविक तत्वों की पूर्ति के लिए गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए, ताकि फसल को अच्छे पोषक तत्व मिल सकें.
फसल में खाद की सही मात्रा और समय
रोशनीबेन बारड ने यह भी बताया कि, “जीरे में बेसल फर्टिलाइजर के रूप में प्रति हेक्टेयर 17 किलो यूरिया और 33 किलो डीएपी का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा, टॉप ड्रेसिंग फर्टिलाइजर के रूप में 57 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. वहीं, सर्दियों की सौंफ में बेसल फर्टिलाइजर के रूप में 72 किलो यूरिया और 65 किलो डीएपी प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. टॉप ड्रेसिंग फर्टिलाइजर के रूप में 98 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर फसल के 30 दिन और 60 दिन के होने पर दो बराबर किस्तों में देना चाहिए. इससे सौंफ में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है.”
First Published :
January 31, 2025, 10:03 IST
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