आकाश सेठिया.
बांसवाड़ा. कोटे में ‘कोटे’ के लिए राजस्थान में आदिवासी समाज एकजुट हो गया है. इसके तहत रविवार को बांसवाड़ा में मेगा रैली का आयोजन किया गया. इसमें दक्षिण राजस्थान के पांच जिलों के हजारों आदिवासी जुटे. इसमें सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुसार आरक्षण लागू करने की मांग पुरजोर से उठाई गई. आदिवासी आरक्षण मंच की ओर से आयोजित की गई इस सभा में दक्षिणी राजस्थान को जनसंख्या के अनुपात में पृथक से साढ़े 6 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग की गई.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण में आरक्षण (कोटे में कोटा) लागू करने और जनसंख्या के अनुपात में पृथक से आरक्षण के मुद्दे को लेकर यह सभा आयोजित की गई. इस सभा बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के अलावा सवाई माधोपुर तथा झालावाड़ से भी आदिवासी समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए. श्री गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय के मैदान में आयोजित इस सभा में शामिल होने के लिए दोपहर से ही जनप्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में युवा पहुंचना शुरू हो गए थे.
हरियाणा ने इस निर्णय को लागू कर दिया है
सभा में पूर्व जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीतसिंह मालवीया ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान कई बरसों से प्रशासनिक सेवाओं में पृथक से आरक्षण की मांग कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटे आरक्षण देने का निर्णय दिया है. इस निर्णय से यहां के युवाओं और जनप्रतिनिधियों में यह भावना पैदा हुई है कि हमारे मन की आवाज किसी ने सुनी है. उन्होंने कहा कि हरियाणा ने इस निर्णय को लागू कर दिया है.
दक्षिणी राजस्थान में लागू हो निर्णय
उन्होंने कहा कि हम सभा के माध्यम से चाहते हैं कि प्रशासन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटा आरक्षण को इस क्षेत्र में लागू करे. अनुसूचित जनजाति के साथ ही अनुसूचित जाति के लिए भी लागू करे तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. ओबीसी को भी लाभ मिले तो स्वागत है. आदिवासियों का 12 प्रतिशत आरक्षण है. उसमें से दक्षिणी राजस्थान को जनसंख्या के अनुपात में पृथक से साढ़े 6 प्रतिशत आरक्षण मिले.
मंच को हाईजैक करने का आरोप
मंच के संयोजक कमलकांत कटारा ने कहा कि आदिवासी आरक्षण मंच ने अपनी मांगों को लेकर लंबा संघर्ष किया है. मंच ने भाजपा, कांग्रेस और बीएपी के नेताओं से भी आग्रह किया था कि राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर समाज की कोटे में कोटा आरक्षण की मांग को लेकर आवाज उठाएं. सभा के दौरान मंच को बीजेपी नेताओं की ओर से हाइजैक करने के आरोप भी लगाए गए.
आदिवासी समाज को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाना चाहिए
कई वक्ताओं ने मंच से कहा कि जिस राजनीतिक दल के लोगों पर समाज और युवाओं ने भरोसा किया उनमें से आज कोई यहां मौजूद नहीं है. अब युवा निर्णय करेंगे और अपने अधिकार को लेकर रहेंगे. अन्य वक्ताओं ने कहा कि समाज सरकार के सामने मजबूती से अपनी मांगों को रखते हुए आया है. निर्णय को लागू कर आदिवासी समाज को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाना चाहिए. जब तक सफलता नहीं मिले तब तक संघर्ष करेंगे.
प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
सभा में समाज के हजारों लोग उपस्थिति रहे. इसमें सम्मिलित युवाओं के हाथों में तीन सूत्री मांगों वाली ‘कोटे में कोटा आरक्षण लागू करो’, ‘जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दो’ और ‘न्यूनतम पात्रता में पूर्णत: छूट दो’ के नारे लिखी तख्तियां थी. सभा में तीनों मांगों को लेकर ही वक्ताओं ने संबोधित किया. सभा के बाद कॉलेज मैदान से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली गई. वहां तीनों मांगों का उल्लेख करते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया.
ये रहे मौजूद
मंच पर जिला प्रमुख रेशम मालवीया, पूर्व राज्यमंत्री धनसिंह रावत, दलीचन्द मईडा, पूर्व संसदीय सचिव भीमा भाई, पूर्व सांसद कनकमल कटारा, मानशंकर निनामा, आदिवासी विचारक लालशंकर पारगी, प्रधान सुभाष खराड़ी, बलवीर रावत, जिला परिषद सदस्य राजेश कटारा, पूर्व विधायक हरेंद्र निनामा, दीपसिंह वसुनिया दिनेश राणा, मणिलाल गरासिया, देवकृष्ण निनामा, फूलशंकर और विनोद पटेल सहित अन्य प्रतिनिधि मौजूद रहे.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 08:54 IST