आपने डीएनए शब्द बहुत सुना होगा. यह हमारे डीएनए में नहीं हैं. हमारा और उनका डीएनए एक ही है या बिलकुल ही अलग है. इस तरह की कई बातें आपने राजनीति तक में खूब सुनी होगी. हमारे पूर्वज कौन हैं? और कौन हमारे पूर्वज नहीं हैं? भारत में रहने वाले लोगों के पूर्वज विदेशी थे या नहीं ? ऐसे कई सवाल हैं जिनके सवालों के जवाब डीएनए में बताए जाते हैं. तो आखिर ये डीएनए क्या है? और आखिर क्यों ऐसे सारेसवालों के जवाब इसमें है और इससे कैसे हमारे पूर्वजों के बारे में पता चल सकता है यानी बताया जा सकता है कि हमारे पूर्वज कौन हैं. आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?
तो क्या होता है डीएनए?
डीएनए एक अणु डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड का छोटा रूप है. वह अणु है जिसमें किसी जीव के विकास और कामकाज की पूरी आनुवंशिक जानकारी होती है इसकी संरचना भी रोचक होती है यह दो जुड़े हुए धागों (स्ट्रैंड) से बना होता है जो एक दूसरे के चारों ओर एक मुड़ी हुई सीढ़ी की तरह घूमते हैं. इसीलिए यह आकार डबल हेलिक्स के रूप में जाना जाता है.
डीएनए का रसायन
हर स्ट्रैंड में बारी-बारी से शुगर (डीऑक्सीराइबोज) और फॉस्फेट समूहों से बनी एक रीढ़ होती है. हरएक शुगर से चार बेस में से एक जुड़ा होता है: एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) या थाइमिन (T). दो स्ट्रैंड बेस के बीच रासायनिक बंधों से जुड़े होते हैं: एडेनिन थाइमिन के साथ बंधता है, और साइटोसिन गुआनिन के साथ बंधता है. DNA की रीढ़ के साथ बेस की सीक्वेंस में, प्रोटीन या RNA अणु बनाने के निर्देश जैसी बहुत सी जैविक जानकारी छपी या लिखी होती है.
डीएनए की संरचना में लाखों की संख्या में अणु रोचक अंदाज में गुथे होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
डीएनए में छिपी सारी जानकारी
यानी इस डीएनए में ही किसी इंसान, और जीव की भी, पूरी की पूरी जैविक जानकारी होती है. यह डीएनए ही होता है जिसके जरिए यह जानकारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे ट्रांसफर होती है. यानी अगर किसी जानवर के दो पैर हैं या चार पैर, यह अंतर भी डीएनए में साफ देखा जा सकता है. कुल मिला कर वैज्ञानिक एक डीएनए के जरिए सारे गुणों की जानकारी रख सकते हैं.
जानकारी का समूह जीनोम
बल्कि हकीकत तो ये है कि दशकों के अध्ययन से वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब हो सके हैं कि किसी गुण के लिए डीएनए का कौन सा हिस्सा जिम्मेदार है और अब वे इसी के जरिए दो जीवों के डीएनए में भी अंतर कर पाते हैं. इस तरह से डीएनए में छिपे सारे अनुवांशिक या जैनेटिक जानकारी हासिल की जाती है. इस जानकारी के समूह को जीनोम कहते हैं.
एक डीएनए में किसी जीव की सारी की सारी जैविक जानकारी समाहित होती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
पूर्वजों का जीनोम
वैज्ञानिक लंबे समय से दुनिया के बहुत सारे लोगों के डीएनए के जरिए उनके जीनोम की जानकारी जमा कर रहे हैं. इसके अलावा वे पुराने समय की कब्रों, ममी आदि से भी डीएनए हासिल कर उनके जीनोम की जानकारी जमा कर हमारे पूर्वजों के भी आंकड़े हासिल करते रहते हैं. इस तरह से उनके पास डीएनए के आंकड़ों का एक भंडार जमा हो गया है.
दो लोगों के डीएनए में अंतर
इंसानों में डीएनए हर व्यक्ति में लगभग एक जैसा होता है. यह शायद यकीन करना मुश्किल हो, लेकिन सभी इंसानों के डीएनए का 99 फीसदी हिस्सा सटीक तौर पर मेल खाता है. लेकिन हर व्यक्ति में कुछ छोटे-छोटे अंतर होते हैं, जो स्वास्थ्य स्थितियों, वंश और अन्य जानकारी से जुड़े होते हैं. इन अंतरों को वेरिएंट कहा जाता है और वैज्ञानिक वंश का पता लगाने के लिए इन्हीं को मापते और उनकी तुलना करते हैं. इसी टेस्टिंग का प्रचलित नाम डीएनए टेस्टिंग है.
किन्हीं भी दो इंसानों का डीएनए 99 फीसदी समान होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कैसे पता लगता है पूर्वजों का
यदि आपके पूर्वजों की कोई जानकारी चाहिए तो आपका डीएनए लिया जाएगा .इसके लिए आपके मुंह के लार की एक बूंद ही काफी है. इसके बाद उससे मिली डीएनए की जानकरी की तुलना पहले से मौजूद जीनोम आंकड़ों से की जाएगी. तुलना से पता चल जाएगा कि किसी तरहके पूर्वज से आपके डीएनए या जीनोम नजदीक से मेल खाता है. यह तरह के सर्विस आज दुनिया में कई कंपनियां दे रही हैं जिनके पास तमाम तरह के आंकड़ों का संग्रह है.
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अब पूर्वज तो छोटी बात है डीएनए का अध्ययन कर तो यह भी प्रमाणिक तौर पर पता लगाया जा सकता है कि कोई दो व्यक्तियों का आपसी संबंध पिता पुत्र का है या नहीं. आज कल कई लोग पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे का डीएनए टेस्ट करवा कर यह पुष्टि करते हैं कि पति असल में उसका पिता है या नहीं.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 13:58 IST