जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों के राजनीति में शामिल होने पर बात की.
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान@75 के ‘NDTV INDIA संवाद'में कहा कि राजनीति में जजों को आना चाहिए या नहीं मेरे जवाब को किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. जस्टिस के सुब्बाराव हमारे समय के बहुत महान जजों में से एक रहे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से रिजाइन किया राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए. तो ये एक फैसला जस्टिस के सुब्बाराव ने खुद के लिए लिया. मैं अपने अतीत के किसी महान व्यक्ति के बारे में कोई असम्मानजनक बात किसी एक व्यक्तिगत फैसले के लिए नहीं करूंगा.
'फैसलों की विवेचना होगी'
डीवाई चंद्रचूड़ ने हालांकि मैं ये सोचता हूं कि सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज एक जज को हमेशा एक जज के रूप में ही देखता है. आप मुझे अब पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कहेंगे, लेकिन सोसायटी हमेशा जज के रूप में ही देखेगी. जो सोसायटी में अन्य आम लोगों के करने पर पाबंदी नहीं होती, वो जज पर लागू नहीं होती.खासतौर पर जब वो उस पद पर होते हैं. ये फैसला हर जज का व्यक्तिगत है कि क्या वो रिटायर होने के तुरंत बाद राजनीति में जाना चाहता है ये सोचते हुए कि उसके राजनीति में जाने से उसके हर फैसले की विवेचना की जाएगी. उसके बाद आपके फैसलों को उस खास पार्टी के पक्ष से जोड़ने की कोशिश की जाएगी.
'न्यायिक तंत्र विचार करे'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जज भी एक आम नागरिक और रिटायर होने के बाद वो सब कुछ करने के हकदार हैं, जो एक आम नागरिक कर सकता है. संविधान में जजों के रिटायर होने के बाद किसी काम को करने पर रोक नहीं है. हालांकि, सोसायटी में जजों के लिए हायर स्टैंडर्ड है कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए. तो ये जजों को खुद ही तय करना होगा कि उन्हें क्या करना चाहिए. इसके साथ ही न्यायिक तंत्र को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या सही होगा?जजों को रिटायर होने के तुरंत बाद राजनीति में जाना चाहिए या नहीं.