गेहूं की बुआई का समय अब नज़दीक
जहानाबाद : रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है. कई फसलों की बुवाई हो चुकी है और कुछ फसलों की बुवाई होने वाली है. रबी सीजन की बात करें तो इसका प्रमुख फसल गेहूं जो कि बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. जहानाबाद जिले की बात करें तो यहां पर भी गेहूं की उपज बड़े पैमाने पर होती है.
बुवाई करने के बाद फसल में सिंचाई की जरूरत पड़ती है. क्योंकि अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई बेहद जरूरी है. ऐसे में हर किसान भाई को यह मालूम होना चाहिए कि सिंचाई कब करें और कितनी बार करें? इसके लिए लोकल 18 की टीम ने कृषि विज्ञान केंद्र गंधार के फसल एक्सपर्ट डॉक्टर मनोज कुमार से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने किसान भाई को कई महत्वपूर्ण सलाह दी.
कब कब करें गेहूं की सिंचाई
डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बिहार राज्य में गेहूं की खेती चार परिस्थितियों में की जाती है. बुवाई का समय आ चुका है इसके बाद सिंचाई भी की जाएगी. गेहूं में सिंचाई चार से पांच बार करनी चाहिए. पहली सिंचाई का सही समय गेहूं की बुवाई के 21 दिन बाद होती है. वहीं, दूसरी सिंचाई 45 से 50 दिनों बाद करनी चाहिए. गेहूं में तीसरी सिंचाई 55 से 60 दिनों के बाद खेतों में करनी चाहिए. वहीं, चौथी सिंचाई 75से 80 दिनों में करनी चाहिए. यदि जरूरत और पड़े तो एक और सिंचाई यानी अंतिम सिंचाई 110 दिनों के बाद कर देनी चाहिए. ऐसे में देखा जाए तो कल सिंचाई गेहूं की खेत में 15 से 20 मार्च तक ही की जानी चाहिए.
कब पड़ती है अंतिम सिंचाई की जरूरत
एक्सपर्ट के अनुसार इस तरीके से समय के अनुसार गेहूं की खेत में सिंचाई करने से फसल में अच्छी पैदावार होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. अंतिम सिंचाई देना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि कभी-कभी गर्मी अधिक पड़ती है जिसके वजह से गेहूं की फसल को टर्मिनल हिट होने की संभावनाएं अधिक रहती है.
टर्मिनल हिट की वजह से गेहूं के दाने चटक जाते हैं, जिसके कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बताए बातों पर अगर अमल करते हुए फसल उपजाया जाए तो परिणाम बेहतर हो सकता है. गेहूं की खेत से अनवांटेड प्लांट को भी हटाना जरूरी होता है. ऐसा करने से आपकी खेत में फसल की पैदावार बढ़ जाने की संभावनाएं बनी रहती है.
कब करें गेहूं की बुवाई
एक्सपर्ट ने बताया कि बिहार में चार परिस्थितियों में गेहूं की खेती होती है. अगात प्रजाति की बात करें तो सबसे बढ़िया प्रजाति के रूप में HD 2967 है. इसके अलावा सबौर श्रेष्ठ और सबौर निर्जल है. इन प्रजातियों की बुवाई 25 नवंबर से लेकर 5 दिसंबर के बीच कर लेनी चाहिए. वहीं, मध्यात प्रजाति की बात करें तो इसकी बुवाई 6 दिसंबर से लेकर 20 दिसंबर के बीच अवश्य कर लेनी चाहिए. इसके लिए भी मार्केट में अलग-अलग कंपनी की अच्छी वैरायटी वाली प्रजातियां मौजूद है जिसका रिजल्ट बेहतर उपज के रूप में मिलती है. ऐसे में आप इन प्रजातियों का उपयोग कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं.
Tags: Bihar News, Jehanabad news, Local18
FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 22:58 IST