karma aur bhagya maine kya hai antar: कहते हैं कर्म का फल मीठा होता है. जो इंसान अपने जीवनकाल में जैसे कर्म करता है, उसे उसकी सजा कर्म देवता शनिदेव देते हैं. ऐसे में हर व्यक्ति को एक नेक इंसान बनने के लिए अच्छे कर्म करने चाहिए. धन-दौलत से आप अपनी जीवन की भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करते हैं, लेकिन यदि आपका आचरण, व्यवहार, आपके द्वारा किए गए कार्य ही सही नहीं होंगे तो आप बेहतर इंसान नहीं कहलाएंगे. कुछ लोग कर्म में यकीन करते हैं तो कुछ लोग भाग्य पर यकीन करते हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कर्म बड़ा है या भाग्य बड़ा है?
कर्म बड़ा है या भाग्य?
स्पिरिचुअल लीडर डॉ. शिवम साधक जी महाराज ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट शिवमसाधक_जी पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें वे कर्म और भाग्य का अर्थ बता रहे हैं. वे कहते हैं कि आपने ये कहावत तो जरूर सुनी होगी कि पहले मुर्गी आई कि पहले अंडा आया. हालांकि, इसका आज तक किसी को पता नहीं चल पाया. कुछ लोग हमेशा भाग्य को बड़ा बताते हैं, भाग्य के भरोसे रहते हैं, लेकिन भाग्य का निर्माण किससे हुआ ये नहीं समझते. दरअसल, भाग्य का निर्माण कर्म से ही हुआ है. आपने अच्छे कर्म पहले किए तो आपका भाग्य अच्छा बना और बुरे कर्म किए थे तो आपका भाग्य बुरा बन गया.
कहने का तात्पर्य ये है कि सबसे बड़ा जो है वह कर्म है. कर्म में सामर्थ्य है कि आपके बुरे भाग्य को भी अच्छा कर सकता है और बुरा कर्म करते हो तो आपके अच्छे भाग्य को भी बुरा बना सकता है. कर्मयोगी इंसान कभी भी जीवन में मात नहीं खाता है. एक व्यक्ति 8 घंटे मेनहत करके 500 रुपये कमाता है. एक व्यक्ति आठ घंटे मेहनत काम करके 5 हजार रुपये कमाता है और वहीं कोई अन्य व्यक्ति उतने ही घंटे काम करके 50 हजार रुपये कमा लेता है.
सबका भाग्य अलग-अलग है, लेकिन कर्म तीनों ही कर रहे हैं. जरा आप सोचिए कि घर में ताला बंद करके सो जाएं और पैसा अपने आप घर में आ जाए. भोजन की थाली आपके पास आ जाए और भोजन अपने आप आपके पेट में चला जाए. ऐसा कभी भी संभव नहीं होगा. ऐसे में हमेशा जीवन में कर्मयोगी बनकर रहें. कर्म अच्छा करेंगे तो खुद ब खुद आपका भाग्य बदल सकता है. बुरे से बुरे वक्त भी बदल सकता है. अच्छा बन सकता है. इसके लिए आपको कर्म करना ही होगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 16:09 IST