संजौली की ऊपरी 3 मंजिलों को गिराने के आदेश हुए जारी
पंकज सिंगटा/शिमला. शिमला के संजौली में उपजा मस्जिद विवाद देश के मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया की सुर्खियां बना रहा. मारपीट के एक मामले के बाद सुर्खियों में आया यह मामला जल्द ही राजनैतिक गलियारों तक पहुंच गया. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सरकार के एक मंत्री का वक्तव्य इतना वायरल हुआ कि उस पर राष्ट्रीय नेताओं तक की प्रतिक्रिया देखने को मिली. स्थानीय लोगों सहित कई जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाए कि मस्जिद का ढांचा अवैध है. इसे तोड़ा जाना चाहिए. इसे लेकर स्थानीय जनता ने सहित हिंदू संगठनों ने 11 सितंबर को विशाल प्रदर्शन किया. इससे पहले भी बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने संजौली बाजार में रैली निकाली.
यह मामला नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट में पहुंचा और 5 सितंबर को इस पर पहली सुनवाई हुई, लेकिन यह सुनवाई बेनतीजा रही. इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 5 अक्टूबर तय की गई. 5 सितंबर की सुनवाई बेनतीजा रहने के बाद हिंदू संगठनों ने प्रदेश भर में लोगों से 11 सितंबर को शिमला पहुंचने का आवाहन किया. इसके बाद उपायुक्त ने यहां धारा 162 लगाई और भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया. लेकिन, इसके बावजूद भी 11 सितंबर को एक उग्र प्रदर्शन हुआ और धारा 162 का उलंघन किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज हुआ, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों ने जवाब में पत्थरबाजी भी की.
मस्जिद कमेटी ने स्वयं मांगी अवैध ढांचे को गिराने की अनुमति
इस पूरे प्रकरण के बाद 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी नगर निगम शिमला के आयुक्त के पास पहुंची और स्वयं ही अवैध ढांचे को गिराने की अनुमति मांगी. वहीं, 11 सितंबर को प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के बाद प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए और प्रदेश भर में मस्जिदों के बाहर भी प्रदर्शन हुए. मंडी में एक मस्जिद को तोड़ा गया. विभिन्न स्थानों पर लोग अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर सड़कों पर उतरे. मौजूदा समय में मस्जिद के ढांचे के आसपास किसी भी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं है. केवल वहां के स्थानीय निवासी ही यहां से प्रवेश कर सकते है.
5 अक्टूबर की सुनवाई के बाद क्या हुआ निर्णय
5 अक्टूबर को संजौली मस्जिद विवाद पर दूसरी सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान एडवोकेट जगत पाल ने स्थानीय लोगों को पूरे मामले में पार्टी बनने को लेकर आवेदन किया. हालांकि, इस आवेदन को कमिश्नर ने यह कह कर खारिज कर दिया. स्थानीय जनता को मामले में पार्टी बनाए जाने की आवश्यकता नहीं है. वहीं, 12 सितंबर को अवैध ढांचे को गिराने को लेकर संजौली मस्जिद कमेटी के आवदेन को मंजूर कर लिया गया है. इसके तहत दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को गिराने की अनुमति दी गई है. इसके लिए 2 महिनें का समय दिया गया है. अन्य बचे ढांचे के संबंध में 21 दिसंबर को अगली सुनवाई होनी है.
क्या कहता है स्थानीय लोगों का पक्ष
स्थानीय लोगों को मामले में पार्टी बनाए जाने का आवेदन करने वाले एडवोकेट जगत पाल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि यह मामला वर्ष 2010 से नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट में था. लेकिन, इसकी सही जानकारी लोगों के बीच में नहीं थी. एक लड़ाई के बाद कुछ लोग भाग कर मस्जिद में छुप गए थे, जिसके बाद लोगों ने मस्जिद को लेकर प्रदर्शन किया और निगम से मस्जिद के कानूनी होने के सवाल उठाए. जगत पाल ने बताया कि कमिश्नर जब मौके पर आए, तो उन्होंने लोगों को बताया कि यह मामला 2010 से कोर्ट में है और इसका नक्शा पास नहीं है. इसके बाद लोगों को इसकी जानकारी मिली और स्थानीय लोगों ने तय किया कि वो लोग भी इसमें पार्टी बनेंगे, लेकिन यह आवेदन कमिश्नर कोर्ट में खारिज हो चुका है. हालांकि, मस्जिद के 3 मंजिलों को तोड़ने की अनुमति दे दी गई है.
क्या कहता है संजौली मस्जिद कमेटी का पक्ष
संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहमद लतीफ ने लोकल 18 से बताया कि मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने को लेकर मस्जिद कमेटी ने 12 सितंबर 2024 को आवेदन किया था. इस पर कमिश्नर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. वहीं, स्थानीय लोगों की ओर से पूरे ढांचे को गैरकानूनी बताने के सवाल पर लतीफ ने बताया कि मस्जिद कमेटी ने 2013 में नगर निगम को नक्शा दिया था. लेकिन उसे लेकर निगम ने कोई भी ऑब्जेक्शन नहीं उठाया. यदि उसमें कोई खामियां थी, तो उन्हें मस्जिद कमेटी को लिख कर भेजना चाहिए था. लतीफ ने कहा कि 7 सितंबर 2024 को कमिश्नर ने यह बात स्पष्ट कर दी थी कि यहां मस्जिद भी है और जमीन भी वकफ बोर्ड की है. यह मस्जिद 1907 से कागजों में है. जमीन और मस्जिद का कोई विवाद नहीं है, यह शुरू से ही यहां अस्तित्व में है.
Tags: Himachal pradesh news, Hindi news, Latest hindi news, Shimla News
FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 17:53 IST