नासिक: आप तो जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में दिशा को विशेष महत्व दिया जाता है, जबकि जीवन में ऊर्जा का अनूठा स्थान है. सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) जीवन को खुशहाल बनाती है, जबकि नकारात्मक ऊर्जा निर्णय क्षमता (decision making ability) को खत्म कर देती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के फर्नीचर से जुड़े वास्तु नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर में फर्नीचर किस दिशा में और कैसे होना चाहिए, इस पर नासिक के प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ नरेंद्र धरने ने Local18 से बात की.
मुख्य द्वार का महत्व
बता दें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार सबसे महत्वपूर्ण होता है. इसलिए कई लोग द्वार पर शुभ चिन्ह, स्वस्तिक और रंगोली बनाते हैं, ताकि नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश न कर सके.वास्तु विशेषज्ञ नरेंद्र धरने ने बताया है कि प्रवेश द्वार के पास नकारात्मक चीज़ें रखने से अनैतिक ऊर्जा (Anomalous Energy) घर में आती है, जिससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है. इससे कई काम रुक जाते हैं और धन की कमी होती है. इन बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी है.
गणपति की मूर्ति कहां न लगाएं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, नए घर में प्रवेश करने या घर बनाने के बाद भगवान गणेश की पूजा की जाती है, लेकिन अगर घर में परेशानियां बढ़ रही हैं, तो इसका कारण वास्तु दोष हो सकता है. गौरतलब है कि कई लोग मुख्य द्वार पर गणपति की फोटो लगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं यह शुभ है या अशुभ? अगर गणपति जी की मूर्ति लगानी हो, तो उसकी दिशा क्या होनी चाहिए?
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर घर का मुख्य द्वार उत्तर या दक्षिण की ओर हो, तो गणपति की फोटो लगाना शुभ है, लेकिन अगर मुख्य द्वार पूर्व या पश्चिम की ओर हो, तो गणपति की मूर्ति न लगाएं, तो कौन-सी दिशा में क्या होना चाहिए?
पूर्व दिशा
यह सूर्य उदय की दिशा है.
इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा और किरणें घर में प्रवेश करती हैं.
मुख्य द्वार इस दिशा में होना बहुत शुभ है.
पश्चिम दिशा
रसोईघर या शौचालय इस दिशा में होना चाहिए.
ध्यान रखें कि रसोई और शौचालय पास-पास न हों.
उत्तर दिशा
इस दिशा में घर की सबसे ज़्यादा खिड़कियां और दरवाजे होने चाहिए.
बालकनी और वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना बेहतर है.
मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो, तो यह लाभकारी है.
दक्षिण दिशा
इस दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए.
भारी सामान इस जगह पर रखें.
अगर इस दिशा में खिड़की या दरवाजा हो, तो नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है.
ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व)
यह जल तत्व की दिशा है.
यहां बोरिंग, स्विमिंग पूल, पूजा स्थल आदि होना चाहिए.
मुख्य द्वार इस दिशा में होना बहुत शुभ है.
उत्तर-पश्चिम दिशा
आपका बेडरूम और गैराज इस दिशा में होना चाहिए.
दक्षिण-पूर्व दिशा
यह अग्नि तत्व की दिशा है.
गैस चूल्हा, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि इसी दिशा में रखें.
दक्षिण-पश्चिम दिशा
इस दिशा में खिड़की या दरवाजा नहीं होना चाहिए.
घर के मुखिया का कमरा इस दिशा में शुभ माना जाता है.
नकदी रखने का काउंटर या मशीनें भी यहां रख सकते हैं.
घर का आंगन
अगर घर में आंगन न हो, तो वह अधूरा माना जाता है. चाहे घर छोटा हो, लेकिन आगे और पीछे आंगन होना चाहिए. आंगन में तुलसी, अनार, अमरूद, मीठा या कड़वा नीम, आंवला और सकारात्मक ऊर्जा वाले फूलों के पौधे लगाएं. वास्तु विशेषज्ञ नरेंद्र धरने का कहना है कि अगर घर का वास्तु सही हो, तो घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है.
Tags: Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 09:39 IST